विकट संकष्टी चतुर्थी कब है? नोट कर लें सही डेट, शुभ मुहूर्त, पूजाविधि और आरती
Vikat Sankashti Chaturthi April 2024 Date and Time : इस साल 27 अप्रैल को विकट संकष्टी चतुर्थी मनाई जा रही है। मान्यता है कि इस दिन गणेशजी की पूजा-अर्चना करने से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
Vikat Sankashti Chaturthi April 2024 : हिंदू नव वर्ष का दूसरा महीना वैशाख होता है। इस माह में स्नान,दान, जप और तप के कार्य बेहद शुभ माने गए हैं। दृक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह की शुरुआत 24 अप्रैल से हो रही है और इसका समापन 23 मई को होगा। वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन गणेशजी की पूजा-आराधना करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। आइए जानते हैं विकट संकष्टी चतुर्थी की सही डेट, शुभ मुहूर्त, पूजाविधि,मंत्र और आरती...
विकट संकष्टी चतुर्थी कब है?
दृक पंचांग के अनुसार, इस साल वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 27 अप्रैल सुबह 8 बजकर 17 मिनट पर हो रही है और अगले दिन 28 अप्रैल को 8 बजकर 21 मिनट पर इसका समापन होगा। इसलिए उदयातिथि के अनुसार, 27 अप्रैल को ही विकट संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी।
पूजा सामग्री लिस्ट : लकड़ी चौकी, पीला कपड़ा, जनेऊ, पान का पत्ता, लौंग, इलायची, गंगाजल, दूर्वा, रोली, सिंदूर, अक्षत, हल्दी, मौली, इत्र, गाय का घी, मोदक, चीनी समेत सभी सामग्री एकत्रित कर लें।
पूजाविधि : विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन विधि-विधान से गणेशजी की पूजा-आराधना का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि इससे धन, सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है।
-विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठें। स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें।
-इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करें। घर में गंगाजल का छिड़काव करें।
एक चौकी पर लाल या पीले वस्त्र बिछाएं। उस पर गणेशजी की प्रतिमा स्थापित करें।
-अब गणपति बप्पा की विधि-विधान से पूजा करें। उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं।
-गणेशजी को फल, फूल,दूर्वा, धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
-गणेशजी के बीज मंत्रों का जाप करें। उन्हें मोदक या मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाएं।
-फिर सभी देवी-देवताओं के साथ गणेशजी की आरती उतारें और लोगों में प्रसाद बांटे।
गणेश जी की आरती :
भगवान श्री गणेश की आरती-
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। ..
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ..
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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