प्रथम गुरु हैं महर्षि वेदव्यास, गुरु पूर्णिमा पर करें यह उपाय
आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ। महर्षि वेदव्यास के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व मनाया जाता है। कहा जाता है कि मनुष्य को सबसे पहले वेदों की शिक्षा महर्ष
आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ। महर्षि वेदव्यास के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व मनाया जाता है। कहा जाता है कि मनुष्य को सबसे पहले वेदों की शिक्षा महर्षि वेदव्यास ने ही दी थी। हिन्दू धर्म में उन्हें प्रथम गुरु का स्थान दिया गया है। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से जीवन में सौभाग्य और उन्नति की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में।
गुरु पूर्णिमा गुरु पूजा का पर्व है। मनुष्य ही नहीं देवताओं ने भी गुरु से ज्ञान प्राप्त किया है। इसीलिए गुरु का स्थान भगवान से भी ऊपर माना गया है। किसी भी कार्य को प्रारंभ करने से पहले शिष्य को गुरु की सलाह अवश्य लेनी चाहिए। गुरु का संबंध बृहस्पति देव से है। गुरु पूर्णिमा के दिन पीले वस्त्र धारण कर पूजा करें। स्नान के बाद मस्तक पर केसर का तिलक लगाएं। गुरु दक्षिणा के रूप में गुरु जी को पीले वस्त्र भेंट करें। पति-पत्नी को गुरु पूर्णिमा के दिन एक साथ चंद्रमा का दर्शन करना चाहिए और मिलकर चंद्रमा को दूध का अर्घ्य प्रदान करना चाहिए। गुरु पूर्णिमा के दिन सूर्यमंत्र का जाप करें। सांय काल में तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाएं। घर परिवार के बुजुर्गों का सम्मान करें। गुरु पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाने और परिक्रमा करने से ग्रह दोष से मुक्ति मिलती है। पूजा में पीले रंग के फूलों का इस्तेमाल करें। साथ ही प्रसाद में पीली चीजें चढ़ाएं। गुरु पूर्णिमा के दिन साबूत मूंग दाल मंदिर में दान करें। ब्राह्मण को भोजन एवं पीले वस्त्र दान करें।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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