Hindi Newsधर्म न्यूज़Utpanna Ekadashi in Saubhagya Yoga on 8th December note down puja vidhi auspicious time and fast breaking time

8 दिसंबर को उत्पन्ना एकादशी पर सौभाग्य योग, अभी से नोट कर लें पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त और व्रत पारण समय

Utpanna Ekadashi 2023: भगवान विष्णु को समर्पित उत्पन्ना एकादशी पर इस बार सौभाग्य योग का निर्माण भी हो रहा है। इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ विष्णु जी की उपासना करने से सुख-सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।

Shrishti Chaubey लाइव हिदनसुतन, नई दिल्लीWed, 6 Dec 2023 03:01 PM
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Utpanna Ekadashi 2023: इस साल 8 दिसंबर के दिन उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखा जाएगा। उत्पन्ना एकादशी का व्रत श्री हरि विष्णु जी को को समर्पित है। उत्पन्ना एकादशी पर इस बार सौभाग्य योग का निर्माण भी हो रहा है, जो बेहद शुभ माना जाता है। मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन हर साल उत्पन्ना एकादशी पड़ती है। मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी पर विष्णु जी की पूरी श्रद्धा के साथ आराधना करने से पापों से मुक्ति मिलने के साथ सुख-सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। दिसंबर के महीने में 2 बार एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इसलिए आइए जानते हैं उत्पन्ना एकादशी पर पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और व्रत खोलने और द्वादशी का समय-

उत्पन्ना एकादशी कब?
मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत वैसे तो 8 दिसंबर से हो रही है, जो 9 दिसंबर तक रहेगी। लेकिन उदया तिथि के चलते उत्पन्ना एकादशी का व्रत शुक्रवार, 8 दिसंबर के दिन रखा जाएगा। 

उत्पन्ना एकादशी शुभ-मुहूर्त
एकादशी तिथि की शुरुआत- 05:06 ए एम, दिसंबर 08, 2023 
एकादशी तिथि समाप्त- 06:31 ए एम, दिसंबर 9, 2023 
सौभाग्य योग- 12:01 ए एम, दिसम्बर 08 - 12:05 ए एम, दिसम्बर 09
द्वादशी तिथि की शुरुआत- 06:31 ए एम, दिसम्बर 09
द्वादशी तिथि की समाप्ति: 07:13 ए एम, दिसम्बर 10
व्रत पारण समय- 01:15 पी एम - 03:21 पी एम, दिसंबर 9, 2023
राहुकाल- 10:55 ए एम - 12:13 पी एम, दिसंबर 8 

उत्पन्ना एकादशी पूजा-विधि 
1. स्नान आदि कर मंदिर की साफ सफाई करें
2. भगवान श्री हरि विष्णु का जलाभिषेक करें
3. विष्णु जी का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें
4. विष्णु भगवान को पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें
5. मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें
6. संभव हो तो व्रत रखें और व्रत लेने का संकल्प करें
7. उत्पन्ना एकादशी की व्रत कथा का पाठ करें
8. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय या ॐ विष्णवे नमः मंत्र का जाप करें
9. पूरी श्रद्धा के साथ भगवान श्री हरि विष्णु और लक्ष्मी जी की आरती करें
10. विष्णु जी को तुलसी दल सहित भोग लगाएं
11. अंत में क्षमा प्रार्थना करें

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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