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Tulsi Vivah Kab Hai : तुलसी विवाह की नोट कर लें सही डेट, शुभ मुहूर्त और संपूर्ण पूजा- विधि

Tulsi Vivah 2023 : हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का बहुत अधिक महत्व होता है। इसी पावन दिन भगवान विष्णु चार माह के बाद योग निद्रा से उठते हैं। इसी दिन से मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाते हैं।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 22 Nov 2023 10:25 AM
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Tulsi Vivah 2023 : कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु के शालीग्राम अवतार और माता तुलसी का विवाह किया जाता है। इस एकादशी को देवउठनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का बहुत अधिक महत्व होता है। इसी पावन दिन भगवान विष्णु चार माह के बाद योग निद्रा से उठते हैं। इसी दिन से मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाते हैं। तुलसी विवाह देवउठनी एकादशी के दिन ही किया जाता है। इस साल 23 नवंबर को तुलसी विवाह है। इसी दिन भगवान शालीग्राम और माता तुलसी का विवाह किया जाएगा।  

मुहूर्त-

एकादशी तिथि प्रारम्भ - नवम्बर 22, 2023 को 11:03 पी एम बजे

एकादशी तिथि समाप्त - नवम्बर 23, 2023 को 09:01 पी एम बजे

तुलसी विवाह पूजा विधि-
 व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करें और व्रत संकल्प लें।
-इसके बाद भगवान विष्णु की अराधना करें।
-अब भगवान विष्णु के सामने दीप-धूप जलाएं। फिर उन्हें फल, फूल और भोग अर्पित करें।
-मान्यता है कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तुलसी जरुरी अर्पित करनी चाहिए।

-शाम को विष्णु जी की अराधना करते हुए विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें। 
पूर्व संध्या को व्रती को सिर्फ सात्विक भोजन करना चाहिए। 
-व्रत के दौरान अन्न का सेवन नहीं किया जाता।
- व्रत खोलने के बाद ब्राहम्णों को दान-दक्षिणा दें।

तुलसी विवाह सामग्री लिस्ट-

  • पूजा में मूली, शकरकंद, सिंघाड़ा, आंवला, बेर, मूली, सीताफल, अमरुद और अन्य ऋतु फल चढाएं जाते हैं।  

तुलसी पूजा में लगाएं ये चीजें

  • देवउठनी एकादशी पर पूजा स्थल में गन्नों से मंडप सजाया जाता है। उसके नीचे भगवान विष्णु की प्रतिमा विराजमान कर मंत्रों से भगवान विष्णु को जगाने के लिए पूजा की जाती है।

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तुलसी विवाह में इन बातों का रखें ध्यान-

  • हर सुहागन स्त्री को तुलसी विवाह जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से अंखड सौभाग्य और सुख-समृद्धि का प्राप्ति होती है।  
  • पूजा के समय मां तुलसी को सुहाग का सामान और लाल चुनरी जरूर चढ़ाएं।
  • गमले में शालीग्राम को साथ रखें और तिल चढ़ाएं।
  • तुलसी और शालीग्राम को दूध में भीगी हल्दी का तिलक लगाएं
  • पूजा के बाद किसी भी चीज के साथ 11 बार तुलसी जी की परिक्रमा करें।
  • मिठाई और प्रसाद का भोग लगाएं। मुख्य आहार के साथ ग्रहण और वितरण करें।
  • पूजा खत्म होने पर शाम को भगवान विष्णु से जागने का आह्वान करें।

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