Hindi Newsधर्म न्यूज़Tulsi Vivah 2022: There is confusion date of Devuthani Ekadashi and Tulsi Vivah know correct date and shubh muhurat

Tulsi Vivah 2022: देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह की डेट को लेकर है कन्फ्यूजन, यहां जानें सही डेट और शुभ मुहूर्त

Dev Uthani Ekadashi Vrat and Tulsi Vivah 2022: इस साल लोगों के बीच देवउठनी एकादशी व तुलसी विवाह को लेकर कंफ्यूजन है। आप भी जान लें एकादशी व तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त व सही तारीख-

Saumya Tiwari लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 4 Nov 2022 06:47 AM
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Dev Uthani Ekadashi Vrat and Tulsi Vivah 2022 Date: हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु चार महीने बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी पड़ती है। जिसके बाद द्वादाशी तिथि को भगवान विष्णु के शालीग्राम रूप के साथ माता तुलसी का विवाह भी किया जाता है। जिसे तुलसी विवाह भी कहा जाता है। इस साल एकादशी तिथि दो दिन पहुंचने के कारण देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह की तारीख को लेकर लोगों के बीच कंफ्यूजन है। जानें देवउठनी एकादशी व तुलसी विवाह की सही तारीख-

देवउठनी एकादशी 2022 कब है?

देवउठनी एकादशी इस साल 4 नवंबर 2022 को है।

देवउठनी एकादशी 2022 शुभ मुहूर्त-

एकादशी तिथि 03 नवंबर को शाम 07 बजकर 30 मिनट से शुरू होगी, जो कि 04 नवंबर को शाम 06 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी।

देवउठनी एकादशी व्रत पारण का समय-

देवउठनी एकादशी व्रत तोड़ने का शुभ समय 05 नवंबर को सुबह 06 बजकर 36 मिनट से सुबह 08 बजकर 47 मिनट तक है। पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - 05:06 पी एम तक है।

तुलसी विवाह कब है?

इस साल तुलसी विवाह 05 नवंबर 2022 है।

तुलसी विवाह शुभ मुहूर्त 2022-

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 05 नवंबर को शाम 06 बजकर 08 मिनट से आरंभ होगी जो कि 06 नवंबर को शाम 05 बजकर 06 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।

तुलसी विवाह पूजा विधि-
-एकादशी व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करें और व्रत संकल्प लें।
-इसके बाद भगवान विष्णु की अराधना करें।
-अब भगवान विष्णु के सामने दीप-धूप जलाएं। फिर उन्हें फल, फूल और भोग अर्पित करें।
-मान्यता है कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तुलसी जरुरी अर्पित करनी चाहिए।
-शाम को विष्णु जी की अराधना करते हुए विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें। 
-एकादशी के दिन पूर्व संध्या को व्रती को सिर्फ सात्विक भोजन करना चाहिए। 
-एकादशी के दिन व्रत के दौरान अन्न का सेवन नहीं किया जाता।
-एकादशी के दिन चावल का सेवन वर्जित है।
-एकादशी का व्रत खोलने के बाद ब्राहम्णों को दान-दक्षिणा दें।

एकादशी पूजा- विधि-

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह भी होता है।
इस दिन भगवान विष्णु के शालीग्राम अवतार और माता तुलसी का विवाह किया जाता है। 
इस दिन माता तुलसी और शालीग्राम भगवान की भी विधि- विधान से पूजा करें।
भगवान की आरती करें। 
भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं। 
इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें। 
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
 

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