Hindi Newsधर्म न्यूज़Tulsi vivah 2022: On this day marry Tulsi once in your life you will get the ultimate kanyadaan punya

Tulsi vivah 2022: आज के दिन जीवन में एक बार करें तुलसी का विवाह, मिलेगा कन्यादान का परम पुण्य

नारद पुराण में कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी का महत्व बहुत ही सुंदर बताया गया है । कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी को प्रबोधनी एकादशी भी कहते हैं । उस दिन उपवास करके सोए हुए भगवान श्री हरि विष्णु को गीत आदि मां

Anuradha Pandey पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली, नई दिल्लीFri, 4 Nov 2022 07:55 AM
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नारद पुराण में कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी का महत्व बहुत ही सुंदर बताया गया है । कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी को प्रबोधनी एकादशी भी कहते हैं । उस दिन उपवास करके सोए हुए भगवान श्री हरि विष्णु को गीत आदि मांगलिक उत्सव द्वारा जगाना चाहिए। उस दिन ऋग्वेद यजुर्वेद और सामवेद के विविध मंत्रों तथा नाना प्रकार की विधियों के द्वारा भगवान श्री हरि विष्णु को जगाना परम पुण्य दायक होता है । द्राक्षा, ईख, अनार, केला, सिंघाड़ा आदि वस्तुएं भगवान को अर्पित करनी चाहिए। तत्पश्चात रात बीतने पर दूसरे दिन सवेरे स्नान और नित्य कर्म से निवृत्त होकर पुरुष सूक्त के मंत्रों द्वारा भगवान गदा दामोदर की षोडशोपचार से पूजा करनी चाहिए। फिर ब्राह्मणों को भोजन करा कर उन्हें दक्षिणा से संतुष्ट करके विदा करें । इसके बाद आचार्य से आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए । इस प्रकार जो भक्ति और आदर पूर्वक प्रबोधिनी एकादशी का व्रत करता है। उसे परम पुण्य एवं अक्षय वैभव की प्राप्ति होती है तथा वह इस लोक में श्रेष्ठ भोगों का उपभोग करते हुए अंत में वैष्णो पद को प्राप्त करता है।
     प्रत्येक वर्ष सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु जी आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि जिसे हरिशयनी एकादशी भी कहा जाता है । इसी दिन भगवान श्री हरि विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। परिणाम स्वरूप विवाह आदि के लिए शुभ योगों एवं मुहूर्तो का अभाव हो जाता है। इस वर्ष हरिशयनी एकादशी 10 जुलाई 2022 दिन रविवार के दिन विभिन्न प्रकार की पूजन आयोजनों के साथ ही श्री हरि विष्णु जी को योग निद्रा में सुलाया गया था। तब से लेकर के प्रबोधिनी एकादशी अर्थात कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि तक विवाह आदि के लिए शुभ मुहूर्त समाप्त हो गए थे। अब प्रबोधिनी एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु की विधिवत पूजन अर्चन करके उनको योग निद्रा से जगाया जाएगा। 
               इस वर्ष देवोत्थानी एकादशी अर्थात श्री हरि प्रबोधिनी एकादशी व्रत का मान सबके लिए 4 नवंबर दिन शुक्रवार को है । एकादशी तिथि का आरंभ 3 नवंबर दिन गुरुवार की रात में 8:51 से आरंभ होकर 4 नवंबर दिन शुक्रवार की रात में 7:02 तक व्याप्त रहेगी। अर्थात सूर्योदय के साथ ही प्राप्त हो रही पूर्णिमा तिथि रात में 7:02 बजे तक रहेगी । इस दिन भद्रा दिन में 7:56 के पूर्व ही गन्ने का पूजन कर उसका सेवन कर लिया जाएगा। इस दिन भद्रा सुबह में 7:56 बजे से आरंभ होकर रात में 7:02 बजे तक व्याप्त रहेगी । यद्यपि भद्रा स्वर्ग लोक की होने के कारण अशुभ कारक नहीं है । फिर भी भद्रा से पूर्व गन्ने का पूजन किया जाना श्रेष्ठ फल प्रदायक होगा।तुलसी शालिग्राम का विवाह उत्सव भी इसी दिन मनाया जाएगा तथा इसका क्रम पूर्णिमा तक चलता रहेगा । एकादशी तिथि में अयोध्या की अंतरगृही परिक्रमा की जाएगी । इस दिन तुलसी शालिग्राम का विवाह करने की अनंत काल से परंपरा है और इस विवाह का शास्त्रों में बहुत ही बड़ा महत्व बताया गया है।
       कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को तुलसी पूजन का उत्सव पूरे भारत ही नहीं अपितु विश्व भर में श्रद्धा भाव के साथ मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति तुलसी का विवाह भगवान श्री हरि विष्णु से श्रद्धा भाव के साथ करता है । उसके पूर्व जन्म के समस्त पाप समाप्त हो जाते हैं। इसी कारण से कार्तिक मास में जगह- जगह और विधि विधान से गाजे-बाजे के साथ मंडप आदि को सुसज्जित करके मंगलचार के साथ संपन्न कराया जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि जिन दंपतियों को कोई भी संतान नहीं है । विशेषकर कन्या संतान नहीं है उनको जीवन में एक बार तुलसी का विवाह करके कन्यादान का परम पुण्य अवश्य प्राप्त कर लेना चाहिए।

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