इस दिन सारे संसार को प्राप्त हुई वाणी
ऋतुराज बसंत के आने से इंसान ही नहीं, देवता भी प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान ब्रह्मा ने जब सृष्टि की रचना की तो सारा संसार निर्जन दिखाई दिया। यह देख उन्होंने अपने कमंडल से जल छिड़का तो उन जलकणों के पड़ते...
ऋतुराज बसंत के आने से इंसान ही नहीं, देवता भी प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान ब्रह्मा ने जब सृष्टि की रचना की तो सारा संसार निर्जन दिखाई दिया। यह देख उन्होंने अपने कमंडल से जल छिड़का तो उन जलकणों के पड़ते ही पेड़-पौधों से एक शक्ति उत्पन्न हुई। भगवान ब्रह्मा के अनुरोध पर जैसे ही देवी ने वीणा बजाई तो सारे संसार को वाणी प्राप्त हो गई।
माघ माह के पांचवें दिन मां सरस्वती के जन्मदिवस के रूप में बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस पर्व को श्रीपंचमी भी कहा जाता है। हमारी चेतना का आधार मां सरस्वती को ही माना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने सबसे पहले मां सरस्वती का पूजन माघ शुक्ल पंचमी को किया था, तब से बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजन की परंपरा चली आ रही है। इस दिन सच्चे मन से मां सरस्वती की आराधना करने से विद्या का भंडार प्राप्त होता है।
बच्चों को पहला शब्द लिखना भी इसी दिन सिखाया जाता है। इस दिन घर में सरस्वती यंत्र स्थापित करना चाहिए। इस दिन पीले वस्त्र धारण करने की परंपरा है। पीले रंग के चावल बनाए जाते हैं और पीले लड्डू, केसरयुक्त खीर भी बनाई जाती है। यह त्योहार सर्दियों के मौसम के अंत का प्रतीक है। इस दिन से शरद ऋतु की विदाई के साथ प्राणियों में नई ऊर्जा का संचार होता है।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।