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अहोई अष्टमी व्रत पर बन रहा है यह शुभ योग, जानें क्या

17 अक्टूबर दिन सोमवार को शिवयोग में अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाएगा। यह व्रत महिलाएं अपने पुत्र संतान के स्वास्थ्य, विद्या, बुद्धि एवं बल के लिए करती हैं। माताएं इस व्रत में पूरे दिन निराहार रहती हैं।

Praveen ज्‍योत‍िषाचार्य पं.श‍िवकुमार शर्मा, मेरठSun, 16 Oct 2022 11:30 PM
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17 अक्टूबर दिन सोमवार को शिवयोग में अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाएगा। यह व्रत महिलाएं अपने पुत्र संतान के स्वास्थ्य, विद्या, बुद्धि एवं बल के लिए करती हैं। माताएं इस व्रत में पूरे दिन निराहार रहती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पुत्रवती महिलाओं को सब्जी या फल चाकू से नहीं काटने चाहिए। शाम को तारा निकलने के बाद दीवार पर अहोई का चित्र बनाकर अहोई की पूजा करें। कहानी सुनते समय एक पटरे पर जल से भरा लोटा रखें। गेरू एवं खड़िया से दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाएं अथवा कैलेंडर चिपकाएं। फिर चांदी की बनी हुई एक अहोई रखें अथवा अपने पीहर से मंगवाई हुई अहोई की माला का पूजन करें। उसमें चांदी के दो मोती डालें। संतान की संख्या के अनुसार चांदी के मोती उस माला में डालते रहें। अहोई के चित्र के सामने रोली, चावल, धूप, दीप, दूध एवं भात आदि पूजन सामग्री से पूजा करें।

पूजा के पश्चात अहोई की माला पहन लें। तत्पश्चात बायना पूजकर अपनी बुजुर्ग सासु अथवा जेठानी को दें। इस दिन पहनी हुई चांदी की अहोई की माला दिवाली बाद ही उतारें। शाम को कुछ महिलाएं तारा देख कर व्रत खोलती हैं और कोई चंद्रमा उदय के समय व्रत खोलती हैं। 17 अक्टूबर को चंद्रमा का उदय रात्रि 23:27 बजे होगा और तारे के दर्शन शाम को 6:15 बजे होंगे। उपरोक्त समय में तारे को अथवा चन्द्र को जल का अर्घ देकर व्रत खोलें। अहोई माता का व्रत करने से पुत्रवती महिलाओं के पुत्रों की रक्षा होती है और उनकी आयु बढ़ती है।
(ये जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।) 
 

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