Hindi Newsधर्म न्यूज़Teej: Tomorrow is a very auspicious coincidence on Hartalika Teej know the auspicious time of puja aarti and fast story

7 सालों बाद शुभ योग में सोमवारी Hartalika Teej, जानें पूजन शुभ मुहूर्त, शिव-पार्वती आरती और व्रत कथा-कहानी

Hartalika Teej: कल सोमवार के शुभ दिन महिलायें अपने पति की दीर्घायु की कामना के लिए तीज का व्रत रखेंगी। इस निर्जला व्रत में कथा पाठन और आरती करना महत्वपूर्ण माना जाता है।

Shrishti Chaubey लाइव हिंदुस्तान, नई दिल्लीMon, 18 Sep 2023 06:00 PM
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Teej 2023 Vrat Story: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 18 सितंबर को मनाया जाएगा। इस दिन दो विशेष योग पर्व की महत्ता और बढ़ाएंगे। श्री हरि ज्योतिष संस्थान के ज्योतिर्विद पंडित सुरेंद्र शर्मा एवं ज्योतिषाचार्य पंडित केदार नाथ मिश्रा ने बताया कि इस दिन सुहागिन महिलाएं मिट्टी से शिव-पार्वती की प्रतिमाएं बनाकर वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं और पूजा करती हैं। तृतीया 17 सितंबर की सुबह 11 बजकर 08 बजे से आरंभ होगी और 18 सितंबर की दोपहर 12 बजकर 39 मिनट तक रहेगी। इसलिए हरतालिका तीज का व्रत 18 सितंबर दिन सोमवार को रखा जाएगा। इस दिन इंद्र योग बन रहा है, जो पूरे दिन रहेगा। इसके साथ ही रवि योग का भी निर्माण हो रहा है। यह दोपहर 12 बजकर 08 बजे से आरंभ होकर पूरी रात रहेगा।

तीज पूजा शुभ मुहूर्त 
शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत- 17 सितंबर, सुबह 11.09 से 18 सितंबर, 12.39 तक 
प्रदोष काल पूजा मुहूर्त- 18 सितंबर, शाम 06.24 बजे से शाम 06.47 बजे तक 
प्रातः काल पूजा मुहूर्त- 18 सितंबर, सुबह 06.07 से सुबह 08.34 तक 

हरतालिका तीज की व्रत कथा 
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने मां पार्वती को इस व्रत के बारे में विस्तार पूर्वक समझाया था। माता गौरा ने माता पार्वती के रूप में हिमालय के घर में जन्म लिया था। बचपन से ही मां पार्वती शिव जी को वर के रूप में पाना चाहती थीं और इसके लिए उन्होंने कठोर तपस्या भी की। 12 सालों तक माता ने निराहार रह करके तप किया। एक दिन नारद जी ने माता के पिता हिमावन को आकर बताया कि पार्वती माता के कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु आपकी पुत्री से विवाह करना चाहते हैं। नारद मुनि जी बात सुनकर महाराज हिमावन बहुत प्रसन्न हुए। उधर, भगवान विष्णु के सामने जाकर नारद मुनि बोले कि महाराज हिमावन अपनी पुत्री पार्वती से आपका विवाह करवाना चाहते हैं। भगवान विष्णु ने भी इसकी अनुमति दे दी। फिर माता पार्वती के पास जाकर नारद जी ने सूचना दी कि आपके पिता ने आपका विवाह भगवान श्री हरि विष्णु से तय कर दिया है। यह सुनकर मां पार्वती बहुत निराश हुईं और उन्होंने अपनी सहेलियों से अनुरोध किया कि वे उन्हें किसी एकांत गुप्त स्थान पर ले जाएं। माता पार्वती की इच्छा अनुसार उनके पिता की नजरों से बचाकर उनकी सहेलियों माता पार्वती को घने सुनसान जंगल में स्थित एक गुफा में छोड़ आयी। यहीं रहकर माता ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप शुरू किया, जिसके लिए उन्होंने रेत के शिवलिंग की स्थापना की। संयोग से वह दिन हस्त नक्षत्र में भाद्रपद शुक्ल तृतीया का था, जब मां पार्वती ने शिवलिंग की स्थापना की थी। इस दिन निर्जला उपवास रखते हुए माता ने रात्रि में जागरण भी किया। उनके कठोर तप से भगवान शिव प्रसन्न हुए और मां पार्वती को उनकी मनोकामना पूर्ण होने का वरदान दिया। अगले दिन अपनी सहेलियों के साथ माता पार्वती ने व्रत का पारण किया और समस्त पूजा सामग्री को गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया। उधर, माता पार्वती के पिता भगवान विष्णु को अपनी बेटी से विवाह करने का वचन दिए जाने के बाद पुत्री के घर छोड़ देने से चिंतित थे। फिर वह पार्वती को ढूंढते हुए उस स्थान तक जा पहुंचे। इसके बाद माता पार्वती ने उन्हें अपने घर छोड़ देने का कारण बताया और भगवान शिव से विवाह करने के संकल्प और शिव जी के द्वारा मिले वरदान के बारे में बताया। तब पिता महाराज हिमालय भगवान विष्णु से क्षमा मांगते हुए भगवान शिव से अपनी पुत्री के विवाह को राजी हो गए थे। 

शिव गौरी आरती
मां पार्वती की आरती 
जय पार्वती माता, जय पार्वती माता.
ब्रह्म सनातन देवी, शुभ फल की दाता..
जय पार्वती माता...
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता.
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता.
जय पार्वती माता...
सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा.
देव वधु जहं गावत नृत्य कर ताथा..
जय पार्वती माता...
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता.
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता..
जय पार्वती माता...
शुम्भ-निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता.
सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाथा..
जय पार्वती माता...
सृष्टि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता.
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता.
जय पार्वती माता...
देवन अरज करत हम चित को लाता.
गावत दे दे ताली मन में रंगराता..
जय पार्वती माता...
श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता.
सदा सुखी रहता सुख संपति पाता..
जय पार्वती माता...।

शिव जी की आरती 
ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव अर्द्धांगी धारा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसानन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु कैटव दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
पर्वत सोहें पार्वतू, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
जया में गंग बहत है, गल मुण्ड माला।
शेषनाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवान्छित फल पावे।।
ओम जय शिव ओंकारा।। ओम जय शिव ओंकारा।।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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