Chandra Grahan Sutak Time : चंद्र ग्रहण के सूतक से पहले मनेगी शरद पूर्णिमा, कब कैसे खाएं प्रसाद, जानें पंडित जी से
Lunar Eclipse : रांची के रातू रोड स्थित श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर तिरूपति बालाजी मंदिर में सूतक लगने से पहले शरद पूर्णिमा मनायी जाएगी। इस दिन मंदिर में शास्त्री विधि-विधान से शरद पूर्णिमा मनायी जाएगी।
इस वर्ष शरद पूर्णिमा के दिन 28 अक्तूबर को खंडग्रास चंद्रगहण लगेगा। ग्रहण रात्रि 1.05 बजे लगेगा। इस कारण इस दिन शरद पूर्णिमा नहीं मनायी जाएगी। चंद्रग्रहण होने के कारण खीर बनाने की परंपरा का निर्वाह नहीं हो पाएगा। कई वर्षों के बाद ऐसा संयोग है कि खंडग्रास चंद्रग्रहण और गजकेसरी योग एक साथ पड़ रहा है। शनिवार को आश्विन माह की पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा। इस पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। झारखंड समेत देश के विभिन्न भागों में इस पूर्णिमा को अपनी रीति और परंपरा के अनुसार मनाया जाता है। इस बार का चंद्रग्रहण पूरे देश समेत झारखंड में भी दिखाई देगा। दूसरे दिन रविवार की सुबह आमजन सुबह स्नान कर और जनेऊ बदलकर चावल, अन्न, कपड़ा, घी, फल आदि दान करेंगे। मंदिर में दान और ब्राह्मण को व गाय को भोजन कराएंगे।
तिरुपति बालाजी मंदिर में सूतक से पहले मनेगी शरद पूर्णिमा
रांची के रातू रोड स्थित श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर तिरूपति बालाजी मंदिर में सूतक लगने से पहले शरद पूर्णिमा मनायी जाएगी। इस दिन मंदिर में शास्त्री विधि-विधान से शरद पूर्णिमा मनायी जाएगी। रात में ग्रहण होने के कारण 28 अक्तूबर को शास्त्रत्तेक्त विधि से दिन में मनाया जाएगा। संध्या चार बजे सूतक लगने से पहले ही शरद पूर्णिमा की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। इस प्रक्रिया में विधि-विधान और अनुष्ठान के साथ प्रभु के सामने खीर रखी जाएगी। और सूतक से पहले इस प्रसाद को ग्रहण किया जाएगा।
तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रबंधक रंजन सिंह ने बताया है कि तिरुपति बालाजी मंदिर में शरद पूर्णिमा सूतक से पहले ही विधि विधान से मना ली जाएगी। सूतक से पहले महाप्रसाद ग्रहण करेंगे।
मुख्य बातें
- खंडग्रास चंद्रग्रहण की अवधि एक घंटा 18 मिनट की होगी।
- चंद्रग्रहण 28 अक्तूबर की मध्य रात्रि 01.05 बजे शुरू होगा।
- इसका मध्य 1.44 बजे, उसी रात 02.24 मिनट पर समाप्त होगा।
- किसी भी ग्रहण का सूतक 9 घंटा पहले से लगता है।
- सूतक शाम 4.05 बजे शुरू हो जाएगा।
- शरद पूर्णिमा में चंद्रग्रहण और गजकेसरी योग का संयोग
सूतक काल में भोजन बनाना व खान वर्जित
पुरोहितों के अनुसार, इस दिन शनिवार शाम 4.05 बजे से सूतक लग जाएगा। सूतक के दौरान मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे। घर और बाहर में पूजा-पाठ और अन्य सभी धार्मिक अनुष्ठान नहीं होंगे। सूतक काल में भोजन बनाना और खाना निषेध रहेगा। रात में भोजन बनाना और उसे ग्रहण करना निषेध रहेगा। रोगी, वृद्ध और बच्चे भोजन कर सकेंगे। कच्चा खाना, मिठाई वगैरह में तुलसी पत्ता व कुश डालकर रखें। तुलसी और कुश पर ग्रहण का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है।
मोक्ष के बाद खीर बनाकर रखा जा सकता है
सूतक से पहले और मोक्ष के बाद शरद पूर्णिमा मनायी जा सकती है। अगर शुद्ध परंपरा का निर्वाह करना है तो यह मोक्ष प्राप्ति के बाद किया जा सकता है। इसके लिए 28 अक्तूबर शनिवार की रात्रि चंद्रग्रहण समाप्त होने के पश्चात 0224 बजे स्नान-ध्यान कर खीर बनाकर चांद की चांदनी में रखकर 29 अक्तूबर सूर्योदय के बाद इसे प्रसाद के स्वरूप में ग्रहण किया जा सकता है।
रांची के आचार्य प्रणव मिश्रा का कहना है कि चंद्रगहण के बाद भी शरद पूर्णिमा मनायी जा सकती है। मोक्ष के बाद स्नान कर और खीर बनाकर उसे चंद्रमा की चांदनी में रखा जा सकता है।
रांची के पंडित रामदेव पांडेय का कहना है कि सूतक काल में भोजन बनाना, ग्रहण करना पूरी तरह निषेध है। लेकिन, अशक्त लाचार, रोगी सूतक काल में भी भोजन ग्रहण कर सकते हैं।
कहां कहां दिखेगा
ग्रहण भारत सहित श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, ईरान, ईराक आदि अधिकांश देशों में स्पष्ट देखा जा सकेगा।
क्या करें
- शनिवार को शाम 4 बजे से पहले ही तुलसी दल तोड़ लें
- खाने-पीने के सामान और प्रशाद में तुलसीदल डाल दें
- ग्रहण समाप्ति के बाद पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कें
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