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Solar eclipse timing: देश में आज सूर्य ग्रहण, सूतक नहीं, चंद्र ग्रहण का सूतक होगा मान्य, सर्वपितृ अमावस्या पर करें राहु के उपाय

sutak time solar eclipse october 2023 surya grahan time: इसके पंद्रह दिन बाद 28 अक्तूबर की रात चंद्र ग्रहण लगेगा।आज रात को 8 बजकर 34 मिनट से रात 2 बजकर 25 मिनट तक सूर्य ग्रहण रहेगा,

Anuradha Pandey ज्योतिर्विद दिवाकर त्रिपाठी, नई दिल्लीSat, 14 Oct 2023 05:47 PM
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Today Surya grahan timing: ज्योतिष के अनुसार अक्टूबर का महीना बहुत खास है। इस माह में पंद्रह दिन के अंतराल से सूर्य और चंद्र ग्रहण दोनों लग रहे हैं। सूर्य ग्रहण आज 14 अक्टूबर शनिवार को सर्व पितृ अमावस्या के दिन लग रहा है। लेकिन पूजा आदि में कोई रोकटोक नहीं रहेगी, क्योंकि इस ग्रहण का सूत काल नहीं माना जा रहा है। यह भारत में नजर नहीं आएगा।

Chandra Grahan date and time: जबकि साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण 28 और 29 अक्तूबर की मध्य रात 1 बजकर 5 मिनट से लगेगा और रात 2 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगा। यह भारत में भी देखा जा सकेगा। इसलिए यहां सूतक के नियम भी लागू होंगे। सूतक काल 28 अक्टूबर की सायं चार बजकर 5 मिनट से शुरू हो जाएगा। इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे और पूजा-पाठ नहीं होगा।

Sarv pitru amavasya: यदि किसी कारण बस पितरों के दिवंगत होने का समय ज्ञात नहीं है या बहुत से पूर्वजों की तिथि ज्ञात नहीं होती है। ऐसी स्थिति में आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या के दिन श्राद्ध कर्म किया जा सकता है। आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि के दिन पितृ विसर्जन का पावन पर्व होता है । इस दिन पितरों की श्रद्धा पूर्वक विदाई किया जाता है। पितृ गण हमारे साक्षात देवता के रूप में माने जाते हैं।शास्त्रों के अनुसार पितृ देव यदि प्रसन्न होते हैं तो हमारे जीवन में सभी प्रकार की खुशियां सहज रूप से प्राप्त हो जाती है तथा धन-धान्य की वृद्धि के साथ-साथ पुत्र पौत्रादि की सुख संपन्नता भी बनी रहती है। इस दिन जो भी पितृ छूट गये होते हैं। उनका श्राद्ध कर्म किया जाता है ।
 इस दिन पितरों को याद करके उनकी विदाई किया जाता है। इस दिन गरीबों को भोजन कराने से तथा भोजन का दान करने से पितृ देव प्रसन्न होते हैं। 

पितृ विसर्जन के दिन राहु से संबंधित किसी भी प्रकार का कोई दोष जन्म कुंडली में विद्यमान है तो उसके लिए भी विशेष उपाय किया जा सकता है। पितृ विसर्जन के दिन भागवत गीता का 11 में अध्याय का पाठ करने से भी घर में सुख शांति के वृद्धि होती है तथा पितृ देव प्रसन्न होते हैं।
श्राद्ध कर्म के दौरान हवन करना तथा पंचबली का विशेष महत्व शास्त्रों में बताया गया है। इस कारण इन दिन पंचबली भी जरूर देना चाहिए । जिसमें कुत्तो के लिए भोजन या ग्रास, गाय के लिए भोजन या ग्रास, कौवा के लिए ग्रास तथा देवताओं के लिए ग्रास निकल जाना चाहिए । उसके उपरांत ब्राह्मण को भोजन कराकर दक्षिणा देने का विधान शास्त्रों में बताया गया है। इससे पूर्वज प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हुए पितृ लोग को चले जाते हैं । 
पितरों की आत्मा की शांति के लिए इस दिन दान का भी विशेष महत्व बताया गया है। दान में विशेष करके अपने समर्थ के अनुसार अन्य का दान दिया जा सकता है । धन का दान दिया जा सकता है। वस्त्र का दान दिया जा सकता है तथा भोजन का दान दिया जा सकता है।

यदि आप धनाभाव में पितृ विसर्जन की पूरी प्रक्रिया कर पाने में असमर्थ हैं। ऐसी स्थिति में पितरों के प्रति पूर्णता के साथ श्रद्धा समर्पण करते हुए एकांत में जाकर प्रार्थना करते हुए यह कहना चाहिए की है पितृ देव हम आप लोगों के प्रति केवल श्रद्धा भाव प्रकट कर पाने की क्षमता रखते हैं । श्राद्ध कर्म कर पाने में असमर्थ इसलिए आप सब प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद हमें प्रदान करें ।भविष्य में यदि हमारी स्थिति में सुधार होता है तो निश्चित ही हम आपके प्रति श्रद्धा भाव के साथ श्राद्ध कर्म करेंगे ।
 इस दिन जन्म कुंडली में विद्यमान राहु से संबंधित किसी प्रकार का दोष होने की स्थिति में राहु से संबंधित उपाय भी किया जा सकता है । राहु के मित्रों का जप " ॐ रां राहवे नमः" अथवा किसी अन्य मंत्र काभी जाप करके राहु को प्रसन्न किया जा सकता है।

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