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Grahan : नवरात्रि से ठीक पहले ग्रहण, क्या रहेगा इसका प्रभाव? यहां जानें सबकुछ

Grahan : इस बार का सूर्य ग्रहण बहुत खास होगा, इस बार के सूर्य ग्रहण में सूर्य जलती हुई आग की रिंग की तरह दिखाई देगा। यह वलयाकार सूर्य ग्रहण हैं, जिसमें चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 14 Oct 2023 11:22 AM
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Solar Eclipse Surya Grahan Effects : देशभर में 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होने जा रही है। इस साल शारदीय नवरात्रि से ठीक पहले साल का अंतिम सूर्य ग्रहण भी लगने जा रहा है। सूर्य ग्रहण का वैज्ञानिक महत्व होने के साथ ही बहुत अधिक ज्योतिष और धार्मिक महत्व भी होता है। इस बार का सूर्य ग्रहण बहुत खास होगा, क्योंकि इस बार के सूर्य ग्रहण में सूर्य जलती हुई आग की रिंग की तरह दिखाई देगा। यह वलयाकार सूर्य ग्रहण हैं, जिसमें चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है। चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से कवर नहीं कर पाता इसलिए सूर्य की महीन सी सनलाइट निकलती है, जिसे रिंग ऑफ फॉयर का नाम दिया गया है। वहीं पूर्ण सूर्य ग्रहण में चंद्रमा पृथ्वी के इतना पास होता है कि सूर्य की तरह बड़ा दिखाई देता है।

हालांकि यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, जिस वजह से नवरात्रि के पावन त्योहार पर कोई असर नहीं पड़ेगा। यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, जिस वजह से सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पूर्ण ग्रहण होने पर ही सूतक काल मान्य होता है। आंशिक या उपछाया होने पर सूतक नियमों का पालन अनिवार्य नहीं होता है। सूतक काल मान्य नहीं है, जिस वजह से मंदिरों के कपाट बंद नहीं होंगे।

मां दु्र्गा इस बार हाथी पर सवार होकर आ रही हैं , जिसे शुभ संकेत माना जा रहा है। शास्त्रों के अनुसार, हाथी को बुद्धि, ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। वहीं मां का प्रस्थान मुर्गे पर होगा, जिसे अशुभ माना जाता है।

कलश स्थापना का मुहूर्त- 15 अक्टूबर को रात 11 बजकर 52 मिनट पर प्रतिपदा तिथि प्रारंभ हो रही है। साथ ही शाम 06 बजकर 43 मिनट पर चित्रा नक्षत्र भी है। आश्विन शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा तिथि यानी 15 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 38 मिनट से दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक कलश स्थापना का अभिजीत मुहूर्त रहेगा।

इसके अलावा कलश स्थापना का एक अन्य मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस साल 10:30 बजे से पहले और दोपहर 01:30 बजे के बाद कलश स्थापना अति उत्तम माना जा रहा है।

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