Solar Eclipse: साल का पहला सूर्य ग्रहण शुरू, जानें किन देशों में दिखेगा रिंग ऑफ फायर का अद्भुत नजारा
साल का पहला सूर्य ग्रहण 10 जून को लगा है। सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है। जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है तो सूर्य ग्रहण लगता है। इस दौरान चंद्रमा, सूर्य के प्रकाश को पूरी तरह या आंशिक...
साल का पहला सूर्य ग्रहण 10 जून को लगा है। सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है। जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है तो सूर्य ग्रहण लगता है। इस दौरान चंद्रमा, सूर्य के प्रकाश को पूरी तरह या आंशिक रूप से ढक लेता है। पूर्ण रूप से ढकने पर पूर्ण सूर्य ग्रहण और आंशिक रूप से ढकने पर आंशिक सूर्य ग्रहण लगता है।
नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के अनुसार, साल का पहला सूर्य ग्रहण उत्तरी गोलार्ध के लोगों को दिखाई देगा। नासा के अनुसार, यह ग्रहण केवल कुछ क्षेत्रों में दिखाई देगा, जबकि अन्य क्षेत्रों में यह आंशिक होगा। एजेंसी ने कहा है कि रूस, ग्रीनलैंड और कनाडा में 'रिंग ऑफ फायर' या पूर्ण सूर्य ग्रहण देखने को मिलेगा, जबकि पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका और अलास्का में केवल आंशिक ग्रहण होगा। उत्तरी अमेरिका, यूरोप, एशिया, उत्तरी अफ्रीका और कैरिबियन के कुछ हिस्सों में भी आंशिक ग्रहण दिखाई देगा।
सूर्य ग्रहण का समय-
सूर्य ग्रहण 10 जून को दोपहर 1 बजकर 42 मिनट से शुरू हो गया है और शाम को 06 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगा। ये ग्रहण कुल मिलाकर 5 घंटे का होगा।
सूर्य ग्रहण भारत में कब और कहां दिखेगा-
इस सूर्य ग्रहण को भारत के सभी हिस्सों में नहीं देखा जा सकेगा। यह केवल लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में सूर्यास्त से पहले देखा जा सकेगा। भारत में यह आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। भारत में ग्रहण के नजर न आने के कारण सूतक काल मान्य नहीं होगा।
क्या होता है रिंग ऑफ फायर-
साल का पहला सूर्य ग्रहण एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। जिसका अर्थ है कि चंद्रमा पृथ्वी से इतनी दूर है कि यह आकाश में सूर्य से आकार में छोटा दिखाई देता है। जिससे चंद्रमा, सूर्य के पूरे प्रकाश को नहीं रोक पाता। खगोल शास्त्रियों के अनुसार, इस खगोलीय घटना को एक घंटे तक देखा जा सकेगा। सूर्य ग्रहण के दौरान चंद्रमा सूर्य की रोशनी को रोकता है, जिसके कारण पृथ्वी पर एक साया-सा उभरता है। इस दौरान सूर्य की रोशनी वलयाकार दिखती है, जो देखने में किसी रिंग के समान नजर आती है। क्योंकि चंद्रमा सूर्य के सिर्फ मध्य भाग को ही अपनी छाया ले पाता है। जैसे ही चंद्रमा, सूर्य के केंद्र बिंदु को कवर करता है, किनारों से रोशनी निकलती है जो रिंग के आकार में होती है। इसी को रिंग ऑफ फायर कहा जाता है।
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