Surya Grahan 2021 : सूर्य ग्रहण के दौरान बनेगा ग्रहों का अशुभ संयोग, ज्योतिषाचार्य से जानें इसके परिणाम
शनिवार को लगने जा रहा साल का आखिरी सूर्य ग्रहण बेहद खास होने जा रहा है, एक तो यह मार्गशीर्ष महीने की शनि अमावस्या के दिन लग रहा है दूसरा इस ग्रहण पर राहु का भी साया रहेगा। 4 दिसंबर को ग्रहण...
शनिवार को लगने जा रहा साल का आखिरी सूर्य ग्रहण बेहद खास होने जा रहा है, एक तो यह मार्गशीर्ष महीने की शनि अमावस्या के दिन लग रहा है दूसरा इस ग्रहण पर राहु का भी साया रहेगा।
4 दिसंबर को ग्रहण के समय आकाश मंडल में 4 ग्रह बुध, केतु, सूर्य, और चंद्र वृश्चिक राशि में रहेंगे। वहीं शुक्र धनु राशि में, मंगल तुला राशि में, शनि मकर राशि में, गुरु कुम्भ राशि में और राहु वृषभ राशि मे रहेंगे। इतना ही नहीं सूर्य, चंद्र, बुध पर राहु की दृष्टि रहेगी, साथ ही शनि पर मंगल और राहु की दृष्टि पड़ेगी। यह सब मिलकर एक अशुभ योग बनाएंगे। जो कि कुछ राशि वालों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित होगा। यह सूर्य ग्रहण शनिवार की सुबह 10:59 से दोपहर के 03:07 बजे तक रहेगा। चूंकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं दिखेगा, इसलिए सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।
यह खग्रास सूर्य ग्रहण दक्षिणी गोलार्ध के देशों जैसे- ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, अंटार्कटिका, दक्षिण अटलांटिक महासागर और दक्षिणी हिन्दु महासागर में दिखाई देगा। बहरहाल ग्रहण का असर देश-दुनिया पर रहेगा। ज्योतिषाचार्य डा.सुशांतराज के अनुसार ग्रहण पर राहु की अशुभ दृष्टि के चलते राजनीतिक उठापटक हो सकती है। इसके अलावा महंगाई में इजाफा, जनाक्रोश की स्थिति पैदा हो सकती है।
क्यों लगता सूर्य ग्रहण
- जब चन्द्रमा, पृथ्वी और सूर्य के मध्य से होकर गुजरता है और पृथ्वी से देखने पर सूर्य पूर्ण या आंशिक रूप से ढक जाता है, तब सूर्यग्रहण लगता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, राहु और केतु की बुरी छाया धरती पर पड़ती है, जिससे ग्रहण लगता है। यह घटना सदा अमावस्या को ही होती है। अक्सर चांद, सूरज के सिर्फ़ कुछ हिस्से को ही ढ़कता है। यह स्थिति खण्ड-ग्रहण कहलाती है। कभी-कभी ही ऐसा होता है कि चांद सूरज को पूरी तरह ढक लेता है, इसे पूर्ण-ग्रहण कहते हैं। पूर्ण-ग्रहण धरती के बहुत कम क्षेत्र में ही देखा जा सकता है।
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