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सिद्धपीठ मां चामुंडा देवी मंदिर में पूरी होती हैं श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं

उत्तर प्रदेश के जनपद बागपत के गांव सिनौली स्थित सैकड़ों वर्ष पुराना सिद्ध पीठ मां चामुंडा देवी मंदिर की बहुत मान्यता है। कहा जाता है कि यहां दूर-दूर से आगर श्रद्धालु अरदास लगाते हैं और मनोकामनाएं...

Yuvraj लाइव हिन्दुस्तान टीम, मेरठThu, 22 Oct 2020 02:32 AM
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उत्तर प्रदेश के जनपद बागपत के गांव सिनौली स्थित सैकड़ों वर्ष पुराना सिद्ध पीठ मां चामुंडा देवी मंदिर की बहुत मान्यता है। कहा जाता है कि यहां दूर-दूर से आगर श्रद्धालु अरदास लगाते हैं और मनोकामनाएं मांगते हैं, जो पूरी भी होती हैं। जनपद के बड़ौत-छपरौली मार्ग पर गांव की पूरब दिशा के बहारी छोर पर स्थित मां चामुंडा देवी का सिद्धपीठ है और नवरात्रों में यहां हर वर्ष सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।

सिद्धपीठ मां चामुंडा देवी मंदिर बड़ौत-छपरोली के मध्य 6 किमी. की दूरी पर सिनौली गांव की पूरब दिशा की ओर बाहरी छोर पर लगभग डेढ़ एकड़ भूमि पर विराजमान है। ग्रामीण बुजुर्गों का कहना है कि मां चामुंडा मंदिर लगभग 250-300 वर्ष पुराना है। बताया कि हम भी अपने बुजुर्गों से सुनते आ रहे हैं कि यह स्थान पहले गांव से काफी दूर हुआ करता था, तब किसी साधु ने यहां आकर तपस्या की और तपस्या के दौरान ही साधु को स्वपन में मां चामुंडा ने कहा था कि यहां पर मंदिर का निर्माण होना चाहिए।

साधु ने यह बात ग्रामीणों को बताई और कुछ दिन बाद ही वहां पर मंदिर के लिए खुदाई शुरू हो गई। ग्रामीण बताते हैं कि मां चामुंडा की मूर्ति खुदाई के दौरान मिली थी, जो आज मां चामुंडा देवी मंदिर में स्थापित है। मां चामुंडा मंदिर के प्रांगण में चामुंडा देवी मंदिर के अलावा श्री राम मंदिर, नव दुर्गा मंदिर, काली मंदिर, शनिदेव मंदिर, भैरव मंदिर, नवग्रह मंदिर, हवन कुंड आदि स्थापित है। अभी यहां संतोषी माता का मंदिर निर्माणाधीन है।

माता चामुंडा नाम के पीछे एक वर्णित कथा
सिद्ध पीठ मां चामुंडा देवी मंदिर के महंत सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि माता का नाम माता चामुंडा पड़ने के पीछे एक कथा प्रचलित है। दुर्गा सप्तशती से माता के नाम की उत्पत्ति कथा वर्णित है। हजारों वर्ष पूर्व धरती पर शुंभ और निशुंभ नामक दो दैत्यों का राज था। उनके द्वारा धरती व स्वर्ग में काफी अत्याचार किया गया। जिस फल स्वरूप देवताओं व मनुष्य ने देवी दुर्गा की आराधना की और देवी दुर्गा ने उन सभी को वरदान दिया।

कहा कि, इन दोनों दैत्यों से उनकी रक्षा करेंगी। उसके पश्चात देवी दुर्गा ने अंबिका नाम से अवतार ग्रहण किया। माता चामुंडा शक्ति और संहार की देवी हैं, मान्यता है कि जब-जब धरती पर कोई संकट आया तब तब माता ने दानवों का संहार किया। असुर चण्ड-मुण्ड के संहार के कारण माता का नाम चामुंडा पड़ा।

 

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