नए साल में शुक्र का गोचर वृश्चिक राशि में, जानें 12 राशियों का हाल
Shukra Gochar in Vrishchik zodiac: मार्ग शीर्ष शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि 24 दिसंबर 2023 दिन रविवार को हो गया है। अर्थात 25 दिसंबर 2023 दिन सोमवार की सूर्योदय के साथ ही शुक्र का गोचर वृश्चिक राशि में आर
Shukra rashi parivartan 2023: प्रेम, सौंदर्य, ऐश्वर्य, आकर्षण, भोग, विलासिता के कारक वृष एवं तुला राशि के स्वामी ग्रह शुक्र का अपनी स्वयं की राशि तुला से मंगल की राशि वृश्चिक में प्रवेश मार्ग शीर्ष शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि 24 दिसंबर 2023 दिन रविवार को हो गया है। अर्थात 25 दिसंबर 2023 दिन सोमवार की सूर्योदय के साथ ही शुक्र का गोचर वृश्चिक राशि में आरंभ हो जाएगा जहां पर 18 जनवरी 2024 दिन गुरुवार तक शुक्र वृश्चिक राशि में रहकर अपना प्रभाव स्थापित करेगा। स्वतंत्र भारत के दृष्टिकोण से देखा जाए तो शुक्र लग्न एवं छठे भाव के कारक होकर सप्तम भाव में गोचर आरंभ करेंगे। जहां पर शनि एवं राहु की दृष्टि पड़ेगी, जिससे शुक्र के फल में थोड़ी कमी आ जाएगी। परिणाम स्वरूप आम जनमानस के सुख में कमी के साथ-साथ कला क्षेत्र से जुड़े किसी बड़े व्यक्तित्व को कष्ट हो सकता है। अचानक बड़ी क्षति भी हो सकती है। महिलाओं के सुख में कमी तथा महिलाओं के स्वास्थ्य एवं इज्जत पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है। फिर भी भारत के वर्चस्व में वृद्धि तथा व्यापारिक बिस्तर में वृद्धि हो सकता है।
शुक्र के परिवर्तन का मेष से लेकर मीन राशि तक के जातकों पर भी निम्न व्यापक प्रभाव दिखाई देगा।
मेष :- मेष राशि वालों के लिए शुक्र धन एवं सप्तम भाव के कारक होकर अष्टम भाव में गोचर आरंभ करेंगे। परिणाम स्वरुप स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से नकारात्मक प्रभाव हो सकता है। धन में वृद्धि पारिवारिक कार्यों में वृद्धि वाणी व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए प्रगति की स्थिति। पेट एवं अंतरित रोग के कारण तनाव उत्पन्न हो सकता है। जीवनसाथी के स्वास्थ्य को लेकर तनाव उत्पन्न हो सकता है। प्रेम संबंधों में अवरोध की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
वृष :- लग्न एवं छठे भाव के कारक होकर सप्तम भाव में गोचर करेंगे । परिणाम स्वरूप मनोबल में वृद्धि दैनिक आय में वृद्धि । कलात्मक में वृद्धि । दाम्पत्य जीवन एवं प्रेम संबंधों में सकारात्मक प्रगति की स्थिति बनेगी। अति घनिष्ठ व्यक्ति से तनाव की स्थिति भी उत्पन्न हो सकता है । पुराने रोगों का समन हो सकता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में सकारात्मक प्रगति की स्थिति बन सकती है। रोजगार के नए अवसर प्राप्त हो सकते हैं।
मिथुन :- द्वादश एवं पंचम भाव के कारक होकर छठे भाव में गोचर आरंभ करेंगे। परिणाम स्वरूप अध्ययन अध्यापन को लेकर अवरोध की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। संतान पक्ष से तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। स्किन एलर्जी के कारण तनाव उत्पन्न हो सकता है। दूरस्थ यात्रा का योग बन सकता है। खर्च में अचानक वृद्धि हो सकती है। भोग विलासिता में वृद्धि की स्थिति बन सकती है तथा अति घनिष्ठ व्यक्ति से तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
कर्क :- एकादश एवं सुख भाव के कारक होकर पंचम भाव में गोचर करेंगे। परिणाम स्वरूप संतान पक्ष से लाभ की स्थिति बन सकती है। अध्ययन अध्यापन में प्रगति की स्थिति बनेगी। लाभ में वृद्धि होगा। आय के संसाधनों में वृद्धि होगा। अचानक धन लाभ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। व्यापार एवं व्यापारिक विस्तार में वृद्धि की संभावना बन सकती है। पारिवारिक एवं मातृ सुख में वृद्धि हो सकता है।
सिंह :- दशम एवं पराक्रम भाव के कारक होकर चतुर्थ भाव में गोचर आरंभ करेंगे। परिणाम स्वरूप सुखों में वृद्धि होगी। गृह एवं वाहन सुख में वृद्धि हो सकता है। भाई, बहन एवं मित्रों का सहयोग सानिध्य प्राप्त हो सकता है। सामाजिक पद प्रतिष्ठा में वृद्धि हो सकता है। नौकरी व्यवसाय में परिवर्तन हो सकता है। कार्य स्थल पर सकारात्मक प्रगति हो सकता है। परिश्रम में चल रहे अवरोध समाप्त होंगे। प्रेम संबंध एवं दांपत्य जीवन सकारात्मक रूप से बना रहेगा।
कन्या :- भाग्य एवं धन भाव के कारक होकर तृतीय भाव में गोचर आरंभ करेंगे। परिणाम स्वरूप कार्यों में भाग्य का साथ प्राप्त होगा। पिता का सहयोग सानिध्य प्राप्त हो सकता है। सामाजिक पद एवं प्रतिष्ठा में वृद्धि हो सकता है। पारिवारिक कार्यों में प्रगति हो सकता है। घर में मांगलिक कार्य हो सकते हैं। भोग विलासिता पर खर्च हो सकता है। भाई बहनों तथा मित्रों का सहयोग सानिध्य प्राप्त हो सकता है। आर्थिक गतिविधियों में सकारात्मक बनी रहेगी।
तुला :- लग्न एवं अष्टम भाव के कारक होकर धान भाव में गोचर आरंभ करेंगे। परिणाम स्वरुप धन संबंधित कार्यों में प्रगति की स्थिति बन सकती है। पारिवारिक कार्यों में प्रगति की स्थिति बन सकती है। वाणी व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए सकारात्मक प्रगति हो सकता है। मनोबल में सकारात्मकता आएगी। मानसिक स्थिरता में वृद्धि हो सकता है। पारिवारिक जनों का सहयोग सानिध्य प्राप्त हो सकता है। पेट की आंतरिक समस्या के कारण तनाव भी उत्पन्न हो सकता है।
वृश्चिक :- द्वादश एवं सप्तम भाव के कारक होकर लग्न भाव पर गोचर आरंभ करेंगे। परिणाम स्वरूप कलात्मकता में वृद्धि हो सकता है। दैनिक आय में वृद्धि हो सकता है। दांपत्य जीवन एवं प्रेम संबंधों में सकारात्मक सहयोग की स्थिति उत्पन्न हो सकता है। जीवनसाथी से लाभ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। साझेदारी के कार्यों में प्रगति की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। भोग विलासिता पर खर्च हो सकता है। दूरस्थ यात्रा पर खर्च भी हो सकता है।
धनु :- एकादश एवं छठे भाव के कारक होकर द्वादश भाव में गोचर आरंभ करेंगे । परिणाम स्वरूप भोग विलासिता के खर्चे में वृद्धि हो सकता है। दूरस्थ यात्रा की खर्च में वृद्धि हो सकता है। स्किन एलर्जी के कारण तनाव उत्पन्न हो सकता है। अति घनिष्ठ व्यक्ति से तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। व्यापारिक विस्तार का योग बन सकता है। प्रेम संबंधों में सकारात्मक आ सकती है। आर्थिक गतिविधियों में सकारात्मक आ सकती है। जीवनसाथी का सहयोग सानिध्य बना रहेगा।
मकर :- पंचम एवं दशम भाव के कारक होकर लाभ भाव में गोचर आरंभ करेंगे परिणाम स्वरुप आय के संसाधनों में सकारात्मक आ सकती है। व्यापारिक विस्तार में वृद्धि होगा। अचानक धन लाभ की स्थिति उत्पन्न हो सकता है। संतान पक्ष से सकारात्मक आ सकती है। अध्ययन अध्यापन में सकारात्मक आ सकती है। बौद्धिक क्षमता के आधार पर लाभ की स्थिति बन सकती है। नौकरी व्यवसाय में परिवर्तन का योग बन सकता है। पदोन्नति की भी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
कुंभ :- भाग्य एवं सुख भाव के कारक होकर दशम भाव में गोचर आरंभ करेंगे। परिणाम स्वरुप कार्यों में सकारात्मक रूप से वृद्धि होगा। कार्य स्थल पर प्रगति होगा । पदोन्नति की भी स्थिति उत्पन्न हो सकती है। गृह एवं वाहन सुख में वृद्धि हो सकता है। माता-पिता का सहयोग प्राप्त हो सकता है। कार्यों में भाग्य का साथ प्राप्त हो सकता है। सामाजिक पद प्रतिष्ठा में वृद्धि एवं विस्तार हो सकता है। जमीन जायदाद से संबंधित कार्यों में प्रगति हो सकता है।
मीन :- पराक्रम एवं अष्टम भाव के कारक होकर भाग्य भाव में गोचर आरंभ करेंगे। परिणाम स्वरूप कार्यों में भाग्य का साथ कम प्राप्त हो सकता है। आंतरिक डर की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। सामाजिक दायरे में वृद्धि हो सकता है। भोग विलासिता पर खर्च की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। पिता के स्वास्थ्य में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकता है। प्रेम संबंधों में सकारात्मक आ सकती है । दांपत्य में भी तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। पेट की समस्या के कारण कार्यों में अवरोध की संभावना बन सकती है।
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