Janmashtami Upay : मकर, कुंभ, धनु, मिथुन, तुला राशि वाले जन्माष्टमी पर जरूर करें ये उपाय, शनि की महादशा से मिलेगी मुक्ति
Krishna Janmashtami : हर साल भाद्रमास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस साल रोहिणी नक्षत्र के बिना ही जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा।
हर साल भाद्रमास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस साल रोहिणी नक्षत्र के बिना ही जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। कुछ लोग आज तो कुछ लोग कल जन्माष्टमी मनाएंगे। जन्माष्टमी के दिन विधि- विधान से भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने से सभी तरह के दोषों से मुक्ति मिल जाती है। इस समय मकर, कुंभ, धनु राशि पर शनि की साढ़ेसाती और मिथुन, तुला राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है। शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या की वजह से व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। भगवान श्री कृष्ण की कृपा से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के अशुभ प्रभावों से बचा जा सकता है। शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति के लिए मकर, कुंभ, धनु, मिथुन, तुला राशि वाले जन्माष्टमी के पावन दिन भगवान श्री कृष्ण की विधि- विधान से पूजा करें और श्री कृष्ण स्तुति का पाठ करें। श्री कृष्ण स्तुति का पाठ करने से भगवान श्री कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
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- गोपाल स्तुति
नमो विश्वस्वरूपाय विश्वस्थित्यन्तहेतवे।
विश्वेश्वराय विश्वाय गोविन्दाय नमो नमः॥1॥
नमो विज्ञानरूपाय परमानन्दरूपिणे।
कृष्णाय गोपीनाथाय गोविन्दाय नमो नमः॥2॥
नमः कमलनेत्राय नमः कमलमालिने।
नमः कमलनाभाय कमलापतये नमः॥3॥
बर्हापीडाभिरामाय रामायाकुण्ठमेधसे।
रमामानसहंसाय गोविन्दाय नमो नमः॥4॥
कंसवशविनाशाय केशिचाणूरघातिने।
कालिन्दीकूललीलाय लोलकुण्डलधारिणे॥5॥
वृषभध्वज-वन्द्याय पार्थसारथये नमः।
वेणुवादनशीलाय गोपालायाहिमर्दिने॥6॥
बल्लवीवदनाम्भोजमालिने नृत्यशालिने।
नमः प्रणतपालाय श्रीकृष्णाय नमो नमः॥7॥
नमः पापप्रणाशाय गोवर्धनधराय च।
पूतनाजीवितान्ताय तृणावर्तासुहारिणे॥8॥
निष्कलाय विमोहाय शुद्धायाशुद्धवैरिणे।
अद्वितीयाय महते श्रीकृष्णाय नमो नमः॥9॥
प्रसीद परमानन्द प्रसीद परमेश्वर।
आधि-व्याधि-भुजंगेन दष्ट मामुद्धर प्रभो॥10॥
श्रीकृष्ण रुक्मिणीकान्त गोपीजनमनोहर।
संसारसागरे मग्नं मामुद्धर जगद्गुरो॥11॥
केशव क्लेशहरण नारायण जनार्दन।
गोविन्द परमानन्द मां समुद्धर माधव॥12॥
॥ इत्याथर्वणे गोपालतापिन्युपनिषदन्तर्गता गोपालस्तुति समाप्त
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