शरद पूर्णिमा पर बन रहा ऐश्वर्यमय योग, प्राप्त होंगे शुभ फल
भगवान श्रीकृष्ण सम्पूर्ण अवतार माने जाते हैं, वह 16 कलाएं और 64 गुणों से परिपूर्ण हैं। पूरे वर्ष में शरद पूर्णिमा पर चंद्रदेव भगवान श्रीकृष्ण की 16 कलाओं को पाते हैं। पृथ्वी पर अपनी शुभ किरणों के माध्
भगवान श्रीकृष्ण सम्पूर्ण अवतार माने जाते हैं, वह 16 कलाएं और 64 गुणों से परिपूर्ण हैं। पूरे वर्ष में शरद पूर्णिमा पर चंद्रदेव भगवान श्रीकृष्ण की 16 कलाओं को पाते हैं। पृथ्वी पर अपनी शुभ किरणों के माध्यम से अमृत की वर्षा करते हैं। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि में भगवती महालक्ष्मी भम्रण करती हैं। इसलिए शरद पूर्णिमा को ‘कोजागरी पूर्णिमा’ भी कहा गया है।
कोजागरी का अर्थ है कि कौन जाग रहा है। जो परमात्मा के ध्यान में शरद पूर्णिमा की चांदनी भरी रात्रि में प्रेमानंद में जाग रहा होता है उसी के यहां ठीक 15 दिन बाद कार्तिक अमावस्या, दीपावली की रात्रि को माता लक्ष्मी प्रवेश करती हैं। शरद पूर्णिमा की रात्रि ‘ओम सोम सोमाय नमः’, ‘ओम गुरवे नमः’, ‘ओम इंद्राय नमः’, ‘ओम श्री महालक्ष्म्यै नमः’ का जाप आकाश की ओर मुख कर करें। ऐसा करने से व्यक्तित्व विकास, यश, मान प्रतिष्ठा, भाग्य वृद्धि, शिक्षा व संतान सुख तथा मनोबल व मन की खुशियां उच्च शिखर पर पहुंचने के योग बनेंगे। खीर बनाकर उसे चंद्रमा की रोशनी में रखें और सुबह परिवार के सभी लोग उसका प्रसाद रूप में सेवन करें। इस वर्ष शरद पूर्णिमा उत्तराभाद्रपद तथा आगे रेवती नक्षत्र के रविवार को पड़ रही है। इसका तात्पर्य है कि ऐश्वर्यमय योग बनना, इसलिए प्रेम व ऐश्वर्य योगों के शुभफल प्राप्त होंगे। इस दिन दूध, चावल की खीर जिसमें घी, मक्खन और सफेद रंग की मेवाएं डली हो और ‘ऊँ सोम सोमाय नमः’ का जाप अमृत तत्व को शुभता भरा बनाता जाएगा।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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