चंद्र ग्रहण के साये में शरद पूर्णिमा, जानें पूजा का समय, खीर कैसे और कब रखें, समस्त जानकारियां
Sharadh Purnima : इस पूर्णिमा में चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से युक्त होता है। इसके अलावा इसी पूर्णिमा पर भगवान कृष्ण ने ब्रज मंडल में गोपियों के साथ रासलीला की थी। इसलिए इसे रास पूर्णिमा कहते हैं।
Sharadh Purnima Chandra Grahan :आश्विन शुक्ल पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा आदि नामों से जाना जाता है। साल में 12 पूर्णिमा में यह पूर्णिमा सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है। इस पूर्णिमा में चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से युक्त होता है। इसके अलावा इसी पूर्णिमा पर भगवान कृष्ण ने ब्रज मंडल में गोपियों के साथ रासलीला की थी। इसलिए इसे रास पूर्णिमा कहते हैं।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी प्रकट हुई थी। इस दिन मां लक्ष्मी के पूजन करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है और सुख समृद्धि आती है। लेकिन इस साल शरद पूर्णिमा पर साल का अंतिम चंद्र ग्रहण भी लगने जा रहा है।
चंद्र ग्रहण टाइम- शरद पूर्णिमा को पर 28-29 अक्तूबर की रात्रि को खंड ग्रास चंद्र ग्रहण है। यह ग्रहण अश्विनी नक्षत्र मेष राशि पर लगेगा। चंद्र ग्रहण एक घंटा 19 मिनट तक दिखाई देगा।
सूतक टाइम- 28 अक्टूबर को भारत में ग्रहण की शुरुआत मध्य रात्रि 1.05 बजे से होगी और 2.24 बजे तक ग्रहण रहेगा। चंद्र ग्रहण का सूतक, ग्रहण शुरू होने से नौ घंटे पहले से शुरू हो जाता है और ग्रहण खत्म होने के साथ सूतक खत्म होता है। सूतक शाम में 4.05 मिनट पर प्रारंभ हो जाएगा। सूतक के समय मंदिर बंद रहते हैं और पूजा-पाठ वर्जित माना गया है।
खीर नहीं रखी जााएगी- चन्द्रग्रहण के कारण से इस बार शरद पूर्णिमा को रात में अमृत वर्षा के दौरान खीर नहीं रखी जा सकेगी।
इस समय रख सकते हैं खीर- इस बार तीस वर्ष के बाद ऐसा संयोग बना है कि शरद पूर्णिमा पर चन्द्र ग्रहण का साया रहेगा । इस कारण महालक्ष्मी पूजन नहीं हो सकेगा। साथ ही जो लोग पूर्णिमा की रात्रि को खीर बना कर रखते हैं, वो 27अक्टूबर की रात में खीर बनाकर 28 अक्टूबर की सुबह 4:17 पर चन्द्र किरणों में रख कर शनिवार की सुबह स्नान कर भगवान श्री कृष्ण को खीर का भोग लगाकर परिवार में प्रसाद रूप में ग्रहण करें। चन्द्रग्रहण समाप्त होने के बाद खीर बनाकर रखी जा सकता है। सुबह उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
ग्रहण के दौरान लोग चन्द्र देव के मंत्रों का जाप करें। सूतक काल आरंभ होने से पहले खाने- पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते या कुश डाल सकते हैं।
शरद पूर्णिमा की पूजा इस साल सूतक काल से पहले ही करनी होगी। ग्रहण के दौरान मंत्रों के जप का विशेष महत्व होता है।
शरद पूर्णिमा पूजा -विधि-
- इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का बहुत अधिक महत्व होता है। आप नहाने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान भी कर सकते हैं। नहाते समय सभी पावन नदियों का ध्यान कर लें।
- नहाने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
- सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।
- पूर्णिमा के पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना का विशेष महत्व होता है।
- इस दिन विष्णु भगवान के साथ माता लक्ष्मी की पूजा- अर्चना भी करें।
- भगवान विष्णु को भोग लगाएं। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को भी शामिल करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी के बिना भगवान विष्णु भोग स्वीकार नहीं करते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें।
- इस पावन दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का अधिक से अधिक ध्यान करें।
- इस दिन जरूरतमंद लोगों की मदद करें।
- अगर आपके घर के आसपास गाय है तो गाय को भोजन जरूर कराएं। गाय को भोजन कराने से कई तरह के दोषों से मुक्ति मिल जाती है।
पूजा का समय- 28 अक्टूबर को शाम को 4 बजकर 5 मिनट से सूतक काल लग जाएगा। उससे पहले ही पूजा कर लें।
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