शरद पूर्णिमा: साल में एक बार खास दर्शन देते हैं ठाकुर बांकेबिहारी, जानिए क्या होता है विशेष
ठाकुर बांकेबिहारी शरदोत्सव के दिन धवल चांदनी में ही नहीं, बल्कि दिन की रोशनी में भी बांसुरी धारण कर भक्तों को दर्शन देंगे। न्यायालय के आदेश पर अब भक्तों को सामान्य दिनों की तुलना में दर्शन करने के...
ठाकुर बांकेबिहारी शरदोत्सव के दिन धवल चांदनी में ही नहीं, बल्कि दिन की रोशनी में भी बांसुरी धारण कर भक्तों को दर्शन देंगे। न्यायालय के आदेश पर अब भक्तों को सामान्य दिनों की तुलना में दर्शन करने के लिए दो घंटे अधिक समय मिल सकेगा। मंदिर प्रबंधन ने प्रभु की आरतियों का समय भी निर्धारित किया है।
बता दें कि ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में राजभोग की सेवा दिन में व शयन भोग की सेवा शाम से रात तक होती है। प्रतिवर्ष शरद पूर्णिमा पर सिर्फ शयन भोग की सेवा में ही ठाकुरजी बांसुरी व कठि-काछनी में भक्तों को दर्शन देते थे। अब न्यायालय के आदेश के बाद पहली बार ठा. बांकेबिहारी शरदोत्सव पर 24 अक्तूबर को सुबह की राजभोग सेवा में भी गर्भगृह से बाहर जगमोहन में बांसुरी धारण कर भक्तों को दर्शन देंगे। मंदिर व्यवस्था में यह बड़ा परिवर्तन 15 अक्तूबर के न्यायालय के आदेश पर हुआ है।
बांकेबिहारी मंदिर के प्रबंधक प्रशासन मुनीश शर्मा ने बताया कि न्यायालय सिविल जज जूनियर डिवीजन मथुरा व मंदिर प्रशासक के आदेश के अनुसार इसके अलावा शरद पूर्णिमा के दिन राजभोग और शयन भोग सेवा में एक-एक घंटे का समय और बढ़ाया जाएगा, इस कारण प्रभु की आरती सेवा में भी बदलाव किया गया है। राजभोग आरती दोपहर 11.55 के स्थान पर 12.55 बजे होगी। शयन भोग आरती रात्रि 9.25 के स्थान पर 10.25 बजे होगी।
शरद पूर्णिमा पर ठा. बांकेबिहारी महाराज सोने-चांदी के भव्य सिंहासन में विराजमान होंगे। वर्ष में एक बार होने वाले इस विशेष दर्शन में प्रभु बांकेबिहारी सिर पर मोर मुकुट, वस्त्रों में कठि-काछिनी और बांसुरी धारण करते हैं।
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