Hindi Newsधर्म न्यूज़Sharad Purnima 2018: 16 kala that moon will have on this that day

Sharad Purnima 2018: इन 16 कलाओं का युक्त होगा चांद, करेगा अमृत वर्षा

इस बार शरद पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 23 अक्टूबर रात को हो रही है और इसका समापन 24 अक्टूबर रात को होगा। व्रत एवं पूजा 24 अक्टूबर को ही होगा। मान्‍यता है कि शरद पूर्णिमा ही वो दिन है जब चंद्रमा अपनी...

लाइव हिन्दुस्तान टीम नई दिल्लीMon, 22 Oct 2018 12:44 PM
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इस बार शरद पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 23 अक्टूबर रात को हो रही है और इसका समापन 24 अक्टूबर रात को होगा। व्रत एवं पूजा 24 अक्टूबर को ही होगा। मान्‍यता है कि शरद पूर्णिमा ही वो दिन है जब चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से युक्‍त होकर धरती पर अमृत की वर्षा करता है। आमतौर पर हम सुनते हैं कि चंद्रमा में सोलह कलाएं होती हैं। भगवान श्रीकृष्ण को सोलह कलाओं का स्वामी कहा गया है तो राम को बारह कलाओं का। दोनों ही पूर्णावतार हैं। इसकी अलग-अलग व्याख्या मिलती हैं। कुछ की राय में भगवान राम सूर्यवंशी थे तो उनमें बारह कलाएं थीं। श्रीकृष्ण चंद्रवंशी थे तो उनमें सोलह कलाएं थीं।  वर्षभर में शरद पूर्णिमा के ही दिन चांद सोलह कलाओं का होता है। इस रात चांद की छटा अलग ही होती है जो पूरे वर्ष कभी दिखाई नहीं देती। चांद को लेकर जितनी भी उपमाएं दी जाती हैं, वह सभी शरद पूर्णिमा पर केंद्रित हैं।

चन्द्रमा की सोलह कला:
अमृत, मनदा ( विचार), पुष्प ( सौंदर्य), पुष्टि ( स्वस्थता), तुष्टि( इच्छापूर्ति), ध्रुति ( विद्या), शाशनी ( तेज), चंद्रिका ( शांति),कांति (कीर्ति), ज्योत्सना ( प्रकाश), श्री (धन), प्रीति ( प्रेम),अंगदा (स्थायित्व), पूर्ण ( पूर्णता अर्थात कर्मशीलता) और पूर्णामृत (सुख)। चंद्रमा के प्रकाश की 16 अवस्थाएं हैं। मनुष्य के मन में भी एक प्रकाश है। मन ही चंद्रमा है। चंद्रमा जैसे घटता-बढ़ता रहता है। मन की स्थिति भी यही होती है।

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मनुष्य में होती हैं पांच से आठ कलाएं
सामान्य रूप से मनुष्य में सिर्फ पांच से आठ कलाएं होती हैं। पाक-कला, कला, साहित्य,संगीत, , शिल्प, सौंदर्य, शस्त्र और शास्त्र होते हैं। इनके विभिन्न रूप होते हैं। पांच कलाओं से कम पर पशु योनि बनती हैं। ईश्वरीय अवतार बारह से सोलह कलाओं के स्वामी होते हैं। हमारी सृष्टि और समष्टि सूर्य और चंद्रमा पर केंद्रित होती है। सूर्य हमारी ऊर्जा की शक्ति है तो चंद्रमा हमारे सौंदर्यबोध, हमारे विचार और मन का स्वामी है। चंद्रमा चूंकि पृथ्वी के सर्वाधिक निकट होता है। इसलिए, उसका प्रभाव हमारे जीवन और मानसिक स्थिति पर भी पड़ता है। सोलह कलाओं का स्वामी होने से शरद पूर्णिमा परम सौभाग्यशाली मानी जाती है।

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