Shani margi धनतेरस पर वक्री से मार्गी होकर शनिदेव इन चार राशियों को देंगे वरदान, साढ़ेसाती वाले करें ये काम
कर्मफल प्रदायक ग्रह शनि देव मंद गति से चलते हुए भी अपने फल में संपूर्णता प्रदान करते हैं । वर्तमान में वक्री गति से मकर राशि में ही गोचरीय संचरण कर रहे थे। परंतु 22 अक्टूबर 2022 दिन शनिवार को शनि देव
कर्मफल प्रदायक ग्रह शनि देव मंद गति से चलते हुए भी अपने फल में संपूर्णता प्रदान करते हैं । वर्तमान में वक्री गति से मकर राशि में ही गोचरीय संचरण कर रहे थे। परंतु 23 अक्टूबर 2022 दिन शनि देव मकर राशि में ही स्वराशि की स्थिति में ही मार्गी हो रहे हैं जो 17 जनवरी 2023 तक मकर राशि में संचरण करते रहेंगे ।मकर राशि मे मार्गी होकर शनिदेव सिंह, कन्या, तुला, और वृश्चिक लग्न पर निम्न प्रभाव स्थापित करेंगे।
सिंह लग्न :- सिंह लग्न के लोगों के लिए शनि देव षष्टेश एवं सप्तमेश होकर षष्ट भाव मे स्वराशि मकर के होकर विद्यमान रहेंगे। शनि की यह स्थिति सिंह लग्न के लिए जहाँ रोग ,कर्ज एवं शत्रुओं को पराजित करने के लिए सकारात्मक प्रभाव में रहेंगे तो वही दाम्पत्य औऱ व्यय की दृष्टि से नकारात्मक प्रभाव भी उत्पन्न करने वाले होंगे। शनि सिंह लग्न के जातको के लिए प्रतियोगिता में सफलता प्रदान करने के लिए सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करेंगे। पुराने रोगों का शमन करेंगे। कर्ज से भी मुक्ति दिलाने में मददगार साबित होने वाले है। परंतु पेट और पैर के रोग से परेशान भी करेंगे। अचानक प्रदेश या विदेश की यात्रा धार्मिक या व्यापारिक गतिविधियों के लिए करा सकते है। आँखों के लिए भी समय तनाव पूर्ण है। भाई बंधुओं मित्रो को लेकर भी थोड़ा तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न कर सकते है। दाम्पत्य जीवन ,प्रेम संबंध में खर्च वृद्धि के कारण तनाव भी हो सकता है।
उपाय :- शनिवार के दिन भगवान भोले नाथ को काला तिल अर्पित करते रहें।
कन्या लग्न :- कन्या लग्न वालों के लिए शनि देव पंचम भाव मकर राशि में ही पंचम एवं षष्ठ भाव के कारक होकर मार्गी गति से संचरण करते रहेंगे। फलतः विद्या अध्ययन के लिए , डिग्री लेने के लिए समय अनुकूलप्रद बना रहेगा। संतान के क्षेत्र में भी सकारात्मक प्रगति प्रदान करेंगे। दाम्पत्य जीवन एवं प्रेम संबंधों के लिए शनि की यह स्थिति थोड़ा प्रतिकूल फल प्रदान करने वाला है। आय एवं लाभ के लिए भी समय उत्तम फल प्रदायक है परंतु तनाव अवश्य होगा। शत्रुओं पर बढ़त बनाने में शनिदेव पूर्ण मदद करेंगे। वाणी में तीव्रता, दाँत की सामान्य समस्या के साथ अचानक खर्च की भी स्थिति उत्पन्न होगी।
उपाय :- सरसों तेल में बनी पूड़ी गाय को शनिवार के दिन खिलाते रहें।
★ तुला लग्न :- तुला लग्न के जातकों के लिए शानिदेव राज योग प्रदाता के रूप में सिद्ध होते है । क्योंकि चतुर्थ एवं पंचम के कारक होते है। स्वराशि मकर में मार्गी गोचर करते हुए अपने प्रभाव में संपूर्णता प्रदान करेंगे। गृह एवं वाहन सुख में वृद्धि करेंगे। माता के सुख सानिध्य में वृद्धि करेंगे। जमीन जायदाद , अचल संपत्ति में वृद्धि करेंगे। सम्मान में, परिश्रम एवं चातुर्यता में वृद्धि करेंगे। शत्रुओं पर विजय प्रदान करेंगे। पुराने रोगों का शमन करेंगे। लग्न भाव पर उच्च की दृष्टि भी डालेंगे यद्यपि की इनकी दृष्टि कष्टकारी होती है परंतु यहाँ राज योग कारक होने के कारण विचारों में उच्चता प्रदान करेंगे। नयी डिग्री के लिए समय अनुकूलप्रद बनाने में सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करेंगे।
उपाय :- मूल कुंडली मे शनि की स्थिति के अनुसार नीलम रत्न धारण करना लाभकारी होगा।
वृश्चिक लग्न :- शनिदेव वृश्चिक लग्न में सामान्य फल प्रदायक के रूप में कार्य करते है। मकर राशि मे मार्गी होकर शनि देव पराक्रम भाव मे स्वगृही रहकर अपने फलों में संपूर्णता प्रदान करेंगे। पराक्रम में वृद्धि होगा। सामाजिक पद प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। भाई, बहनों, मित्रों का सहयोग, सानिध्य प्राप्त होगा। कार्य क्षमता में, नेतृत्व क्षमता में भी सकारात्मक वृद्धि देखने को मिलेगा। शनि की दृष्टि पंचम भाव पर, नवम भाव पर एवं व्यय भाव पर भी होगा । ऐसे में संतान को लेकर थोड़ी चिंता जनक स्थिति उत्पन्न हो सकती है। अध्ययन, अध्यापन के लिए समय थोड़ा तनावपूर्ण होगा। पिता के स्वास्थ्य को लेकर भी तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न होगा। अचानक धार्मिक एवं व्यापारिक यात्रा का भी योग बन सकता है। आँखों की समस्या समस्या भी उत्पन्न हो सकता है।
उपाय :- शनिवार को शमी पुष्प शिव जी को अर्पित करते रहें।
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