Hindi Newsधर्म न्यूज़Sawan Purnima: raksha bandhan 2022 date The state of confusion remained due to Bhadra - Astrology in Hindi

सावन पूर्णिमा: 2 दिन मान और भद्रा का साया से बनी रही असमंजस की स्थिति

ज्योतिष के जानकार पंडित मोहन कुमार दत्त मश्रि कहते हैं कि इसबार दो दिन पूर्णिमा का मान रहने से लोगों में असमंजस की स्थिति बनी रही। रक्षाबंधन श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है। परंतु, भद्रा का त्याग करक

Yogesh Joshi हिन्दुस्तान टीम, नालंदा शेखपुराThu, 11 Aug 2022 11:21 PM
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सावन पूर्णिमा का मान दो दिन रहने तथा भद्रा साया के कारण रक्षाबंधन को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बनी रही। कई जगहों पर गुरुवार को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया गया। जबकि, कई स्थानों पर शुक्रवार को मनाया जाएगा। पूर्णिमा

भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन पर खासकर छोटे बच्चों में गजब का उत्साह दिखा। तिलक लगा और मिठाई खिलाकर बहनों ने भैया की कलाई पर रेशम का धागा (राखी) बांधकर अपनी रक्षा का वचन लिया तथा भैया की लंबी उम्र की कामना की। बाजारों में काफी चहल-पहल रही। खासकर मिठाई और राखी की दुकानों में। हालांकि, पूर्णिमा के मौके पर बिहारशरीफ के हिरण्य पर्वत पर लगने वाले मेले में बहुत कम लोग पहुंचे। ठेले पर चाट, गोलपप्पे, समोसा व अन्य तरह की दुकान जरूर सजी रहीं। दुकानदारों को उम्मीद है कि शुक्रवार को मनोहर वादियों का लुत्फ उठाने लोग पर्वत पर आएंगे।

सुबह से पहुंचने लगे थे श्रद्धालु:

सावन पूर्णिमा को शिवालयों में भक्तों की कतारें दिखी। हर हर महादेव के जयकारे गुंजते रहे। राजगीर के वैभारगिरि पर्वत पर स्थित बाबा सिद्धनाथ-सोमनाथ मंदिर, बिहारशरीफ हिरण्येश्वर धाम, धनेश्वरघाट, झारखंडी महादेव, जंगलिया बाबा मंदिर, झारखंडी महादेव, शेखपुरा के गिरिहिंडा पहाड़ पर स्थित मंदिर में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ दिखी।

क्यों बनी असमंजस की स्थिति :

ज्योतिष के जानकार पंडित मोहन कुमार दत्त मश्रि कहते हैं कि इसबार दो दिन पूर्णिमा का मान रहने से लोगों में असमंजस की स्थिति बनी रही। रक्षाबंधन श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है। परंतु, भद्रा का त्याग करके ही। श्रीहनुमान पंचांग, हृषिकेष पंचांग व महावीर पंचांग के हवाले से वे बताते हैं कि 11 अगस्त को सूर्योदय प्रात: 5 बजकर 30 मिनट पर हुआ। जबकि, पूर्णिमा का मान दिन में 9 बजकर 35 मिनट से शुरू हुआ। परंतु, उसी समय से भद्रा का भी प्रारंभ हुआ। भद्रा का साया रात्रि 8.25 तक रहा। शास्त्रों के अनुसार इसके बाद रक्षाबंधन मनाना श्रेष्ठकर माना गया है। वहीं, 12 अगस्त को प्रात: सूर्योदय 5 बजकर 31 मिनट पर होगा और पूर्णिमा का मान प्रात: 7 बजकर 17 मिनट तक है। धर्म सिंधु के अनुसार जिस तिथि में सूर्योदय होता है, वही अस्त कहलाता है।

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