Hindi Newsधर्म न्यूज़Sakat Chauth Vrat 2024 date shubh muhurat and significance of sakat chauth vrat 2024 in hindi

Sakat Chauth 2024 : क्यों रखा जाता है सकट चौथ का व्रत? जानें इसका धार्मिक महत्व

Sakat Chauth Vrat 2024 : हिंदू धर्म में संतान के अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए महिलाएं सकट चौथ का व्रत रखती हैं। मान्यता है कि इस दिन गणेशजी की पूजा-आराधना से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

Arti Tripathi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 29 Jan 2024 07:49 PM
share Share

Sakat Chauth 2024 Significance : सनातन धर्म में हर साल माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने संतान के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए सकट चौथ का निर्जला व्रत रखती है। इस पर्व पर गणेशजी और चंद्रदेव की पूजा-आराधना का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन गणपति बप्पा की विधिवत पूजा करने से सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। आइए विस्तार से जानते हैं कि महिलाएं सकट चौथ का व्रत क्यों रखती हैं?

कब है सकट चौथ व्रत ? 

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 29 जनवरी 2024 को सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर होगी और अगले दिन यानी 30 जनवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए उदयातिथि के अनुसार,  इस बार 29 जनवरी को महिलाएं सकट चौथ का निर्जला व्रत रखेंगी।

सकट चौथ का शुभ मुहूर्त :

अमृत मुहूर्त : 7:11 एएम- 8:32 एएम तक
शुभ मुहूर्त : 9:43 एएम- 11:14 एएम तक
शाम का मुहूर्त : 4:37 पीएम- 7:37 पीएम तक

चांद निकलने का समय : साल 2024 में सकट चौथ के दिन यानी 29 जनवरी 2024 को चंद्रोदय का समय रात 9 बजकर 10 मिनट पर है, लेकिन अलग-अलग शहरों के अनुसार चांद निकलने के समय में थोड़ा अंतर हो सकता है।

सकट चौथ व्रत का धार्मिक महत्व : सकट चौथ को संकष्टी चतुर्थी, वक्रतुण्डी चतुर्थी और तिलकुटा चौथ समेत कई नामों से जाना जाता है। इस दिन संतान के सुखी जीवन और लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और सायंकाल में गणेशजी का पूजन करती है। इसके बाद चंद्रदेव को जल अर्घ्य देने के बाद ही प्रसाद ग्रहण करती हैं। कहा जाता है कि ऐसा करने से गणपति बप्पा संतान के सारे कष्टों को दूर करते हैं। इस व्रत को करने से अच्छा स्वास्थ्य, बुद्धि और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गणेशजी ने इसी दिन ही अपने भगवान शंकर और मां पार्वती की परिक्रमा कर अपने बुद्धि और विवेक का परिचय दिया था। 

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
 

अगला लेखऐप पर पढ़ें