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Sakat Chauth : सकट चौथ पर चांद को अर्घ्य देना होता है शुभ, नकारात्मकता से मिलता है छुटकारा

Sakat Chauth Vrat 2024 Chand Time : सकट चौथ का व्रत आज यानी 29 जनवरी, सोमवार को रखा जा रहा है। भगवान गणेश को समर्पित सकट चौथ व्रत में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बद ही व्रत पूरा माना जाता है।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान टीम, नई दिल्लीMon, 29 Jan 2024 09:21 PM
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Sakat Chauth 2024 : माघ महीने की सकट चौथ व्रत मुख्य रूप से महिलाएं संतान की लंबी आयु की कामना के लिए किया जाता है। ऐसी मान्यता है इस दिन व्रत रखने से सभी तरह के संकट खत्म हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। ऐसे मान्यता है भगवान गणेश ने माता पार्वती और भगवान शिव की परिक्रमा सकट चौथ के ही दिन की थी जिस कारण से इस व्रत का विशेष महत्व होता है। इस व्रत को संकट चौथ,माघी चौथ, लंबोदर संकष्टी चतुर्थी, तिलकुटा चौथ, इत्यादि नामो से भी जाना जाता है। सकट चौथ का व्रत आज यानी 29 जनवरी, सोमवार को रखा जा रहा है। भगवान गणेश को समर्पित सकट चौथ व्रत में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बद ही व्रत पूरा माना जाता है। जानिए सकट चौथ व्रत में क्यों और कैसे दिया जाता है चंद्रमा को अर्घ्य, जानिए इसके लाभ- 

सकट चौथ के दिन क्यों दिया जाता है चंद्रमा को अर्घ्य- शास्त्रों के अनुसार, चंद्रमा को औषधियों का स्वामी और मन का कारक माना जाता है। चंद्रदेव की पूजा के दौरान महिलाएं संतान के दीर्घायु और निरोगी होने की कामना करती हैं। चंद्रमा को अर्घ्य देने से सौभाग्य का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।

चंद्रमा को अर्घ्य देने के लाभ- चांदी के पात्र में पानी में थोड़ा सा दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। संध्याकाल में चंद्रमा को अर्ध्य देना काफी लाभप्रद होता है। चंद्रमा को अर्घ्य देने से मन में आ रहे समस्त नकारात्मक विचार, दुर्भावना और स्वास्थ्य को लाभ मिलता है। चंद्रमा को अर्घ्य देने से चंद्र की स्थिति भी मजबूत होती है।  

चंद्रमा को अर्घ्य देते वक्त इस मंत्र का करें जाप-

गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते।
गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥ 

सकट चौथ के दिन चन्द्रोदय समय- रात 09 बजकर 10 बजे होगा। इसी समय चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाएगा और व्रत को खोला जाएगा। इस व्रत में कथा पढ़ी जाती है। एक कथा भगवान शंकर वाली है और एक कथा कुम्हार वाली है। देश के अलग-अलग हिस्सों में चंद्रोदय का टाइम अलग-अलग होता है।इसके बाद ही व्रत पारण किया जाएगा।

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