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29 जनवरी को सकट चौथ, जानें शुभ मुहूर्त,पूजाविधि,चांद निकलने का समय, इस दिन क्या करें और क्या नहीं ?

Sakat Chauth 2024 Date and Shubh Muhurat : पंचांग के अनुसार, इस साल 29 जनवरी 2024 को सकट चौथ का व्रत रखा जाएगा। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से गणेशजी की पूजा करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।

Arti Tripathi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 29 Jan 2024 08:34 PM
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Sakat Chauth 2024 Today,Shubh Muhurat and Poojavidhi : हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन गणेशजी और चंद्रदेव की पूजा करने से संतान के दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस साल  आज यानी 29 जनवरी 2024 को सकट चौथ का व्रत रखा जाएगा। इसे संकष्टी चतुर्थी, वक्रतुण्डी चतुर्थी और तिलकुटा चौथ के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन गौरी पुत्र गणेश, सकट माता और चंद्रदेव की पूजा करने से सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। आइए जानते हैं सकट चौथ व्रत की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, चंद्रोदय का समय और व्रत के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं ?

कब है सकट चौथ 2024?

हिंदू पंचांग के अनुसार,  29 जनवरी 2024 को सुबह 6 बजकर 10 मिनट से चतुर्थी तिथि का आरंभ होगा और इसके अगले दिन यानी 30 जनवरी 2024 को सुबह 8 बजकर 55 मिनट तक रहेगा। इसलिए उदयातिथि के अनुसार, 29 जनवरी 2024 को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी।

चंद्रोदय का समय : पंचांग के अनुसार, इस साल शोभन योग में सकट चौथ का व्रत रखा जाएगा।  29 जनवरी 2024 को रात 8 बजकर 52 मिनट पर चंद्रोदय होगा। हालांकि, अलग-अलग शहरों में चांद निकलने के समय में थोड़ा अंतर हो सकता है।

पूजाविधि :

सकट चौथ के दिन सुबह जल्दी उठें। 
स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें।
सूर्योदय को जल अर्घ्य दें।
इसके बाद गणेशजी की पूजा करें।
सायंकाल में गणेशजी की विधिविधान से पूजा करें।
सकट चौथ व्रत कथा पढ़ें और उनकी आरती उतारें।
फिर गणेशजी को तिल के लड्डू और मिठाई का भोग लगाएं।
चांद निकलने के बाद चन्द्रमा को जल अर्घ्य दें।

सकट चौथ के दिन इन बातों का रखें ध्यान

सकट चौथ की पूजा के दौरान काले रंग का वस्त्र न पहनें।
इस दिन पूजा के लिए पीले या लाल रंग के कपड़े पहन सकती हैं।
चंद्रदेव को जल अर्घ्य देते सम इस बात का ध्यान रखें कि जल के छींटे पैरों पर न पड़े।
इस दिन गणेशजी के पूजन के बाद चंद्रमा को जल अर्घ्य जरूर दें। इसके बिना व्रत अधूरा माना जाता है।
पूजा के दौरान तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल न करें। गणेशजी को दूर्वा जरूर चढ़ाएं।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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