कल बहनें इस मुहूर्त में भाई की कलाई पर बांधें राखी, जरूर पढ़ें राखी की ये पौराणिक कथा
हर साल श्रावण शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि पर रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। शुभ मुहूर्त में बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं। इस बार 30 अगस्त को भद्रा लगने से रक्षाबंधन का त्योहार 31 अगस्त को है
हर साल श्रावण शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि पर रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। शुभ मुहूर्त में बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं। इस बार 30 अगस्त को भद्रा लगने से रक्षाबंधन का त्योहार 31 अगस्त को मनाया जाएगा। पंडित अवधेश मिश्र के मुताबिक इस वर्ष रक्षाबंधन 31 अगस्त को मनाया जाएगा क्योंकि 30 अगस्त को सुबह 10:22 बजे पूर्णिमा लगेगी और पूर्णिमा के साथ ही भद्रकाल भी शुरू हो रहा है। भद्रा में रक्षा बंधन नहीं मनाया जाता है। इसलिए रक्षाबंधन 31 अगस्त उदया तिथि में सुकर्मा योग में मनाया जाएगा। 31 अगस्त को राखी बांधने का सर्वोत्तम मुहुर्त सुबह 5:45 बजे से 7:25 बजे तक है।
धार्मिक कथाओं के अनुसार रक्षाबंधन के पावन पर्व को मनाने की शुरुआत माता लक्ष्मी ने की थी। सबसे पहले माता लक्ष्मी ने ही अपने भाई को राखी बांधी थी। आइए जानते हैं रक्षाबंधन की पौराणिक कथा...
धार्मिक कथाओं के अनुसार जब राजा बलि ने अश्वमेध यज्ञ करवाया था तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांग ली थी। राजा ने तीन पग धरती देने के लिए हां बोल दिया था। राजा के हां बोलते ही भगवान विष्णु ने आकार बढ़ा कर लिया है और तीन पग में ही पूरी धरती नाप ली है और राजा बलि को रहने के लिए पाताल लोक दे दिया।
तब राजा बलि ने भगवान विष्णु से एक वरदान मांगा कि भगवन मैं जब भी देखूं तो सिर्फ आपको ही देखूं। सोते जागते हर क्षण मैं आपको ही देखना चाहता हूं। भगवान ने राजा बलि को ये वरदान दे दिया और राजा के साथ पाताल लोक में ही रहने लगे।
भगवान विष्णु के राजा के साथ रहने की वजह से माता लक्ष्मी चिंतित हो गईं और नारद जी को सारी बात बताई। तब नारद जी ने माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु को वापस लाने का उपाय बताया। नारद जी ने माता लक्ष्मी से कहा कि आप राजा बलि को अपना भाई बना लिजिए और भगवान विष्णु को मांग लिजिए।
नारद जी की बात सुनकर माता लक्ष्मी राजा बलि के पास भेष बदलकर गईं और उनके पास जाते ही रोने लगीं। राजा बलि ने जब माता लक्ष्मी से रोने का कारण पूछा तो मां ने कहा कि उनका कोई भाई नहीं है इसलिए वो रो रही हैं। राजा ने मां की बात सुनकर कहा कि आज से मैं आपका भाई हूं। माता लक्ष्मी ने तब राजा बलि को राखी बांधी और उनके भगवान विष्णु को मांग लिया है। ऐसा माना जाता है कि तभी से भाई- बहन का यह पावन पर्व मनाया जाता है।
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