Raksha Bandhan : 200 साल के बाद रक्षा बंधन पर बन रहा है विशेष संयोग, कई लोग आज तो कई लोग कल मनाएंगे रक्षा बंधन
रक्षाबंधन पर इस बार आयुष्मान, सौभाग्य व ध्वज योग का संयोग बन रहा है। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो ऐसा संयोग 200 साल के बाद आया है। साथ ही हंस, संकीर्ति नाम के राजयोग भी बन रहे हैं।
रक्षाबंधन पर इस बार आयुष्मान, सौभाग्य व ध्वज योग का संयोग बन रहा है। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो ऐसा संयोग 200 साल के बाद आया है। साथ ही हंस, संकीर्ति नाम के राजयोग भी बन रहे हैं। गुरु-शनि वक्री होकर अपनी राशियों में रहेंगे। इस महासंयोग में किये गए रक्षाबंधन सुख-समृद्धि और आरोग्य देने वाला होगा। रक्षाबंधन को लेकर पंडितों का एक मत नहीं है। दरअसल भद्रा के कारण अधिकांश पंडितों का कहना है कि रक्षाबंधन 12 अगस्त को मनाया जायेगा। बूढ़ानाथ मंदिर के टुन्ना पंडित ने बताया कि 11 अगस्त को रक्षाबंधन नहीं होगा। इसीलिए 12 अगस्त को ही रक्षा के लिए रक्षाबंधन होगा। वहीं जगन्नाथ मंदिर के पंडित सौरभ कुमार मिश्रा ने बताया कि इस बार रक्षा बंधन दो दिनों तक होगा। बनारसी पंचांग के अनुसार 11 अगस्त को को रात्रि 8:30 बजे के बाद रक्षा बंधन मनाई जाएगी। मिथिला पंचांग के अनुसार उदया तिथि का मान होने के कारण देशभर में 12 तारीख को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा।
ज्योतिषियों के अनुसार रक्षा बंधन का इस वर्ष अमृत योग है। गुरुवार सुबह 9:30 बजे से लेकर दूसरे दिन शुक्रवार को साढ़े सात बजे तक भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने का योग है। इस दौरान किया गया कोई भी कार्य फलित होता है। हालांकि कुछ लोग श्रावणी पूर्णमासी में भद्रकाल मानते हुए रक्षा बंधन मनाने को लेकर संशय में थे।, ज्योतिषी पं.चंद्रमौलि त्रिपाठी ने सब कुछ साफ कर दिया। त्रिपाठी ने भद्रकाल की बात को सिरे से खारिज करते हुए बताते हैं कि स्वर्ग,पाताल व मृत्युलोक में भद्रा लगता है। मृत्युलोक यानी पृथ्वी पर लगने वाले भद्र का असर ही पड़ता है। श्रावणी पूर्णमासी का भद्रा मकरराशि में है। वह भी पाताल लोक में लगेगा। वह यह भी बताते हैं कि रक्षा बंधन का सबसे उत्तम अमृत योग है। बहने थाल में रोली, चंदन अक्षत,दही,रक्षा सूत्र और मिठाई थाली में सजा कर भाई की कलाई पर रक्षा बांध आरती उतारे में बदले में भाई अपनी प्यारी बहना के रक्षा करने का संकल्प लें और नेग-जोग प्रदान करें।
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