Prem Mandir Vrindavan: प्रेम मंदिर में कृष्ण लीला का मनोहारी दर्शन,जानिए कैसे पहुंचे यहां
भगवान श्रीकृष्ण की लीलाभूमि ब्रज क्षेत्र में स्थित वृंदावन में कई पुराने और अत्यंत धार्मिक महत्त्व के मंदिर हैं। इनमें बांकेबिहारी मंदिर, राधा दामोदर मंदिर, राधारमण मंदिर, श्री रंगनाथ मंदिर, मदन मोहन...
भगवान श्रीकृष्ण की लीलाभूमि ब्रज क्षेत्र में स्थित वृंदावन में कई पुराने और अत्यंत धार्मिक महत्त्व के मंदिर हैं। इनमें बांकेबिहारी मंदिर, राधा दामोदर मंदिर, राधारमण मंदिर, श्री रंगनाथ मंदिर, मदन मोहन मंदिर आदि शामिल हैं। लेकिन इन प्राचीन मंदिरों के बीच करीब एक दशक पहले बना प्रेम मंदिर भी श्रद्धालुओं के आर्कषण का बहुत बड़ा केंद्र बन गया है। इस मंदिर के निर्माण में करीब एक दशक का समय लगा और इसे श्रद्धालुओं के लिए फरवरी, 2012 में खोला गया। मंदिर का पूरा परिसर 50 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में फैला हुआ है। इस मंदिर का निर्माण जगद्गुरु कृपालु महाराज ने कराया है।
भारतीय मंदिर वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण इस मंदिर का सौंदर्य शाम में देखते ही बनता है, जब यह रंग-बिरंगी लाइटिंग से प्रकाशमान होता है। हर पल अलग-अलग रंगों में ढलती मंदिर की आकृति विस्मित कर देती है। प्रेम मंदिर राधाकृष्ण और सीताराम को समर्पित है। यह इटली से आए संगमरमर से बना है। इसकी ऊंचाई 125 फुट, लंबाई 122 फुट और चौड़ाई 115 फुट है। इस मंदिर में 94 कलामंडित स्तम्भ हैं। इस मंदिर के भूतल पर राधाकृष्ण की बहुत सुंदर प्रतिमा है, जबकि प्रथम तल पर सीताराम का मनोहर युगल विग्रह मूर्ति के रूप में है।
मंदिर की दीवारों पर विभिन्न धार्मिक कलाकृतियां उकेरी गई हैं, जिनमें कृष्ण भगवान की लीलाएं, भजन-कीर्तन करते प्रसिद्ध संतो-भक्तों के चित्र हैं। इनमें भजन-कीर्तन में लीन जगद्गुरु कृपालु महाराज की भी कलाकृतियां हैं। मंदिर परिसर में भगवान कृष्ण की लीलाओं की बड़ी मनोहर झांकियां बनी हैं, जो श्रद्धालुओं के आनंद को और बढ़ा देती हैं। मंदिर परिसर में प्रवेश करने पर बायीं ओर कालिया मर्दन करते बाल कृष्ण दिखाई देंगे, तो दायीं ओर गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर उठाए कृष्ण। उसी ओर थोड़ा आगे बढ़ने पर गोपियों और राधा के साथ महारास करते कृष्ण की झांकी दिखेगी, तो थोड़ा आगे बढ़ने पर बाल ग्वाल को साथ गाय चराते कृष्ण दिखाई देंगे।
प्रेम मंदिर की होली बहुत दर्शनीय होती है। कार्त्तिक माह भगवान दामोदर को बहुत प्रिय है, तो वृंदावन में कार्त्तिक माह में भी श्रद्धालुओं की संख्या अन्य मासों की अपेक्षा ज्यादा होती है और वृंदावन आने वाला शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा, जो प्रेम मंदिर में न आए। मंदिर परिसर में एक दुकान है, जहां भगवान को भोग लगाया प्रसाद उचित मूल्य पर मिलता है। धार्मिक साहित्य और सुंदर स्मृति चिह्नों की भी दुकानें हैं। परिसर में जलपान गृह भी है।
कैसे पहुंचें: ट्रेन से वृंदावन जाने के लिए आपको पहले मथुरा पहुंचना पड़ेगा। वहां से वृंदावन की दूरी करीब 10 किलोमीटर है। मथुरा से ऑटो, टैक्सी, बस से आप आसानी से वृंदावन पहुंच सकते हैं। सड़क मार्ग से भी वृंदावन जा सकते हैं। नजदीकी एअरपोर्ट आगरा में है, जो वृंदावन से करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर है।
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