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पौराणिक कथा: जब विष्णु ने शिव को चढ़ा दी अपनी आंख, फिर मिला सुदर्शन चक्र

एक बार भगवान विष्णु ने शिवजी की तपस्या करने बैठ गए। विष्णुजी ने शिव को अपनी एक आंख अर्पित कर दी। इससे प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें सुदर्शन चक्र दिया, जिससे विष्णुजी ने धरती को राक्षसों से बचाया।

Jayesh Jetawat लाइव हिंदुस्तान, नई दिल्लीThu, 5 May 2022 11:20 PM
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पौराणिक कथाओं में त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश का जिक्र मिलता है। ब्रह्माजी को सृष्टि का रचयिता माना जाता है। वहीं, विष्णुजी को जगत का पालनहार और महेश यानी शिवजी को संहारक माना जाता है। शिव को असुर और अधर्मियों का वध करने के लिए जाना जाता है। एक बार भगवान विष्णु को इस असुरों का वध करने के लिए एक दिव्य अस्त्र की जरूरत पड़ी, तो उन्होंने शिव की तपस्या शुरू की। विष्णु ने तपस्या के दौरान शिव को अपने नेत्र यानी अपनी एक आंख भेंट कर दी। शिव इससे प्रसन्न हुए और विष्णु को सुदर्शन चक्र भेंट किया। पढ़ें ये रोचक पौराणिक कहानी।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक बार धरती पर राक्षसों का अत्याचार बढ़ गया। असुरों की दृष्टि स्वर्ग पर अधिकार जमाने पर टिकी थी। इससे भयभीत होकर स्वर्ग के सभी देव विष्णुजी के पास पहुंचे। उन्होंने धरती और स्वर्ग लोक को राक्षसों से मुक्त करने की गुहार लगाई। विष्णुजी को पता था कि इसका समाधान शिव के पास है।

भगवान विष्णु ने शिव की तपस्या आरंभ की। वे शिवजी के हजार नाम जपते और हर नाम के साथ एक कमल का फूल चढ़ाते। शिवजी ने विष्णुजी की परीक्षा लेनी चाही। वे विष्णुजी के समक्ष पहुंचे और चुपके  से एक कमल का फूल चुरा लिया। विष्णु जी अपनी तपस्या में लीन थे, उन्हें इस बात का पता नहीं चला। जब उन्होंने आखिरी नाम जपा, तो उनके पास कमल का फूल नहीं था। अगर वे फूल नहीं चढ़ाते तो उनकी पूरी तपस्या भंग हो जाती।

विष्णुजी ने तुरंत अपनी एक आंख निकाली और शिवजी को अर्पित कर दी। शिव विष्णुजी की तपस्या से प्रसन्न हुए और उनसे वरदान मांगने को कहा। तब विष्णुजी ने राक्षसों के संहार के लिए एक अचूक शस्त्र मांगा। शिवजी ने उन्हें सुदर्शन चक्र दिया, जिसका वार कभी खाली नहीं जाता था। इसके बाद विष्णुजी ने सुदर्शन चक्र से अत्यंत खूंखार राक्षसों सो मार गिराया और इस धरती को अधर्मियों के प्रकोप से बचाया।

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