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पौराणिक कथा : धरती के इस राजा को मिल गया इंद्र का सिंहासन, अहंकार में डूबा तो बन गया अजगर

श्राप के चलते इंद्रदेव शक्तिहीन हो गए। स्वर्ग पर असुर उत्पात मचाने लगे तो धरती के राजा नहुष को इंद्र के सिंहासन पर बैठाया गया। नहुष को अहंकार आ गया। उसे सबक सिखाने के लिए सप्तर्षियों ने अजगर बना दिया.

Jayesh Jetawat लाइव हिंदुस्तान, नई दिल्लीSat, 7 May 2022 12:48 AM
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राजा दुर्वासा ने क्रोध में आकर इंद्र देव को श्राप दे दिया था। इससे इंद्र देव शक्तिहीन हो गए। असुरों ने इसका फायदा उठाया और स्वर्ग में आधिपत्य जमाने की कोशिश करने लगे। इंद्र डर कर एकांत में जाकर छिप गए। इससे दैत्य स्वर्ग में उत्पात मचाने लगे। तब अन्य देवताओं को चिंता होने लगी। सभी देवता सप्तर्षियों के पास गए और इसका समाधान मांगा। 

उस समय धरती पर नहुष नाम से एक प्रतापी राजा हुआ करता था। सप्तर्षियों ने देवताओं से नहुष से मदद लेने के लिए कहा। सभी देवता नहुष के पास गए और स्वर्गलोक को असुरों से बचाने का आग्रह किया। नहुष बहुत तेजस्वी और प्रतापी राजा था। नहुष ने अपनी शक्ति के बल पर असुरों को स्वर्गलोक से खदेड़ दिया और वहां पर शांति कायम की। ये देखकर सभी देवता प्रसन्न हो गए।

जैसे-जैसे समय बीतता गया राजा नहुष खुद को तीनों लोकों का स्वामी समझने लगा। उसे अहंकार आ गया। उसे स्वर्गलोक का आधिपत्य मिल गया तो काम-वासनाओं में डूब गया। देवों और तपस्वियों से मनमानी करने लगा। उसके मन में इंद्र की पत्नी शची को लेकर भी बुरे ख्याल आने लगे। एक दिन नहुष ने अपने सेवकों से शची को उसके सामने पेश करने के लिए कहा। 

नहुष ने शची से कहा कि उसके पास इंद्र का आसन और सारी शक्तियां है, इसलिए अब तुम इंद्र के बजाय मुझे अपना पति स्वीकार कर लो। शची ने नहुष को मना कर दिया। वह मदद के लिए बृहस्पति के पास गई। नहुष को सबक सिखाने के लिए बृहस्पति को एक उपाय सूझा।

उन्होंने शची से कहा कि वो जाकर नहुष से कहे कि अगर सप्तर्षि उसकी डोली उठाकर लाए, तो वह उससे विवाह कर लेगी। बृहस्पति के कहने पर शची नहुष के पास गई और अपनी शर्त रखी। नहुष के खुशी के ठिकाने नहीं रहे। उसने तुरंत शर्त मान ली और शची से विवाह की तैयारी करने के लिए कहा।

नहुष ने तुरंत सप्तर्षियों को अपने दरबार में बुलाया और उन्हें डोली में बैठाकर शचि के पास ले जाने के लिए कहा। सप्तर्षियों के पास नहुष का आदेश मानने के अलावा कोई चारा नहीं था। नहुष डोली में बैठ गया और सप्तर्षि अपने बूढ़े कंधों पर धीरे-धीरे उसे शचि की ओर ले जाने लगे। सभी ऋषि धीरे चल रहे थे इससे नहुष क्रोधित हो गया। उसने सप्तर्षियों से जल्दी चलने के लिए कहा। फिर भी उनकी गति नहीं बढ़ी तो क्रोध में आकर नहुष ने सबसे आगे चल रहे ऋषि अगस्त को लात मार दी।

सप्तर्षियों के सब्र का बांध टूट गया। उन्होंने डोली को वहीं पटका और नहुष को अजगर बनने का श्राप दे दिया। इस तरह इंद्रलोक का राजा नहुष अपने अभिमान के चलते अजगर बनकर रह गया। हजारों सालों बाद पांडवों ने नहुष को उसके श्राप से मुक्ति दिलाई, फिर जाकर उसका उद्धार हुआ।

इसके बाद ब्रहस्पति के कहने पर इंद्र को खोजा गया। इंद्र देव पर ब्रह्महत्या का पाप लगा था। उनके दोष का निवारण किया गया। इंद्रदेव के पास वापस सभी शक्तियां आ गईं और स्वर्गलोक का सिंहासन भी उन्हें मिल गया।

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