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Parivartini Ekadashi: आज भी रखा जा सकेगा परिवर्तिनी एकादशी व्रत, आप भी जान लें

Parivartini Ekadashi Date 2023: परिवर्तिनी एकादशी व्रत इस साल दो दिन 25 या 26 सितंबर दोनों दिन रखा जा सकता है या उदया तिथि में किस दिन व्रत रखना गृहस्थ जीवन व्यतीत करने वालों के लिए शुभ रहेगा। जानें-

Saumya Tiwari लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 26 Sep 2023 07:55 AM
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When is Parivartini Ekadashi 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष कीएकादशी को परिवर्तिनी एकादशी या पद्मा एकादशी व्रत रखा जाता है। हालांकि इस साल एकादशी तिथि दो दिन होने के कारण भक्तों के बीच कंफ्यूजन है कि आखिर व्रत रखना 25 या 26 सितंबर किस दिन उचित रहेगा। परिवर्तिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी व्रत रखने से भगवान विष्णु के साथ मां पार्वती की भी कृपा प्राप्त होती है। घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

गृहस्थ कब रखेंगे परिवर्तिनी एकादशी व्रत-

इस साल भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की एकादशी  तिथि 25 सितंबर, सोमवार को सुबह 07 बजकर 55 मिनट से प्रारंभ हुई थी और 26 सितंबर, मंगलवार को सुबह 05 बजे समाप्त हुई। हिंदू पंचांग के अनुसार, 25 सितंबर को गृहस्थ जीवन व्यतीत करने वाले व्रत रखेंगे और 26 सितंबर को वैष्णव समुदाय के लोग एकादशी व्रत रखेंगे।

25 और 26 सितंबर को एकादशी व्रत पारण का समय-

26 सितंबर को पारण (व्रत तोड़ने का) समय - 01:25 पी एम से 03:49 पी एम तक।
पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय - 10:11 ए एम
27 सितंबर को गौण एकादशी के लिए पारण (व्रत तोड़ने का) समय - 06:12 ए एम से 08:36 ए एम तक रहेगा।
पारण के दिन द्वादशी सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाएगी।

क्यों होता है दो दिन लगातार व्रत-

कभी कभी एकादशी व्रत लगातार दो दिनों के लिए हो जाता है। जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब गृहस्थ जीवन व्यतीत करने वालों को पहले दिन एकादशी व्रत करना चाहिए। दूसरे दिन वाली एकादशी को दूजी एकादशी कहते हैं। सन्यासियों और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रद्धालुओं को दूजी एकादशी के दिन व्रत करना चाहिए। दूजी एकादशी और वैष्णव एकादशी एक ही दिन होती हैं।

परिवर्तिनी एकादशी का महत्व-

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी से योग निद्रा में चले जाते हैं और परिवर्तिनी एकादशी के दिन करवट बदलते हैं। करवट बदलने से भगवान विष्णु का स्थान परिवर्तन होता है। इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि यह व्रत सभी पापों से मुक्ति दिलाता है और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

एकादशी के दिन क्या करें और क्या न करें- 

1. एकादशी के दिन चावव खाने की मनाही होती है। मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाने से इंसान रेंगने वाले जीव योनि में जन्म लेता है। 
2. एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने के साथ ही खान-पान, व्यवहार और सात्विकता का पालन करना चाहिए।
3. मान्यता है कि व्यक्ति को इस दिन कठोर शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही लड़ाई-झगड़े से भी बचना चाहिए।
5. एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठना शुभ माना जाता है और शाम के समय नहीं सोना चाहिए।

एकादशी के दिन करें ये काम-

1. एकादशी के दिन दान करना शुभ माना गया है।
2. एकादशी के दिन संभव हो तो गंगा स्नान करना चाहिए।
3. विवाह संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए एकादशी के दिन केसर, केला या हल्दी का दान करना चाहिए।
4. एकादशी व्रत रखने से धन, मान-सम्मान और संतान सुख के साथ मनोवांछित फल की प्राप्ति होने की मान्यता है।
5. कहा जाता है कि एकादशी का व्रत रखने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

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