Hindi Newsधर्म न्यूज़On Sakat Chauth 2 zodiac signs including Aquarius will get benefits read the mythological story related to Shiva-Ganesh and Aarti of Ganesh ji

कुंभ समेत 2 राशियों को सकट चौथ पर मिलेगा लाभ ही लाभ, पढ़ें शिव-गणेश से जुड़ी पौराणिक कथा व गणेश जी की आरती

Sakat Chauth Katha: आज 29 जनवरी को रखा जाएगा सकट चौथ व्रत। सकट चौथ पर शोभन योग एवं सूर्य, शुक्र और बुध के धनु राशि में विराजमान होने से त्रिग्रही योग का निर्माण भी हो रहा है।

Shrishti Chaubey हिन्दुस्तान टीम, अलीगढ़Mon, 29 Jan 2024 09:10 PM
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Sakat Chauth Rashifal, Sakat Chauth Vrat Katha: हर साल माघ के महीने में सकट चौथ का पर्व मनाया जाता है। संतान की लंबी आयु की कामना हेतु इस दिन माताएं निर्जला व्रत रखती हैं। सकट चौथ का पर्व देश भर में सोमवार को मनाया जाएगा। सकट चौथ की जानकारी देते हुए वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि इस पर्व को संकष्टी चतुर्थी, वक्रतुंडी चतुर्थी, तिलकुटा चौथ आदि नाम से भी जाना जाता है।

स्वामी पूर्णानंदपुरी महाराज के अनुसार, चतुर्थी तिथि का प्रारंभ प्रातः 6:10 मिनट से हो चुका है, जो कि सोमवार प्रातः 8:54 मिनट तक रहेगी। चंद्रोदय रात्रि 9:10 मिनट पर होगा। साथ ही शोभन योग एवं सूर्य, शुक्र और बुध के धनु राशि में विराजमान होने से त्रिग्रही योग का निर्माण भी हो रहा है। सकट चौथ पर ग्रहों की चाल के मद्देनजर कुंभ, वृश्चिक और तुला राशि के जातकों के लिए दिन शुभ माना जा रहा है। 

सकट चौथ व्रत की कथा

सकट चतुर्थी के दिन कथा सुनने का महत्व है। पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार देवों के देव महादेव ने शिवजी अपने पुत्र कार्तिकेय व गणेश से पूछा कि आप में से कौन देवताओं के कष्टों का निवारण कर सकता है। तब कार्तिकेय व गणेशजी दोनों ने ही स्वयं को इस कार्य के लिए सक्षम बताया। इस पर भगवान शिव ने कहा कि तुम दोनों में से जो भी सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके आएगा। वही देवताओं की मदद करने जाएगा। यह वचन सुनते ही कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए। परन्तु गणेशजी अपने स्थान से उठे और अपने माता-पिता की सात परिक्रमा करके वापस बैठ गए। परिक्रमा करके लौटने पर कार्तिकेय स्वयं को विजयी बताया। शिवजी ने गणेशजी से पृथ्वी की परिक्रमा न करने का कारण पूछा तब गणेश जी ने कहा माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक हैं। यह सुनकर भगवान शिव ने गणेशजी को देवताओं के संकट दूर करने की आज्ञा दी और गणेश जी को आशीर्वाद दिया कि चतुर्थी के दिन जो तुम्हारा श्रद्धा पूर्वक पूजन करेगा और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देगा उसके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे।

पूजा-विधि 
1- भगवान गणेश जी का जलाभिषेक करें 
2- गणेश भगवान को पुष्प, फल चढ़ाएं और पीला चंदन लगाएं 
3- तिल के लड्डू और तिलकूट का भोग लगाएं  
4- सकट चौथ की कथा का पाठ करें 
5- ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करें 
6- पूरी श्रद्धा के साथ गणेश जी की आरती करें 
7- चंद्रमा के दर्शन करें और अर्घ्य दें 
8- व्रत का पारण करें 
9- क्षमा प्रार्थना करें 

गणेश जी की आरती
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी। 
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। ..
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया। 
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।। 
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा .. 
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा। 

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी। 
कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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