Hindi Newsधर्म न्यूज़Navratri Navami 2022: Maha Navami of Navratri on 4 October Sagittarius and sthayi muhurat the Havan of Navami will be done till 1 32 pm there is a good time for Havan

Navratri Navami 2022: धनु और स्थिर लग्न में आज करेंगे नवमी का हवन,  दोपहर 1.32 बजे तक हवन का है अच्छा मुहूर्त

 मां शक्ति की नौ दिनों तक उपासना करने वाले श्रद्धालु मंगलवार को नवमी को दशहरा में धनु और स्थिर लग्न में हवन करेंगे। मंगलवार दोपहर 1.32 बजे तक हवन का बढ़िया मुहूर्त है। सुबह सात बजे तक सूर्य, बुध और शु

Anuradha Pandey वरीय संवाददाता, पटनाTue, 4 Oct 2022 05:49 AM
share Share

 मां शक्ति की नौ दिनों तक उपासना करने वाले श्रद्धालु मंगलवार को नवमी को दशहरा में धनु और स्थिर लग्न में हवन करेंगे। मंगलवार दोपहर 1.32 बजे तक हवन का बढ़िया मुहूर्त है। सुबह सात बजे तक सूर्य, बुध और शुक्र का योग बन रहा है। पंडित प्रेमसागर पांडेय कहते हैं कि तीनों ग्रह कन्या राशि में होने से हवन काफी शुभकारक होगा। वहीं सुबह 9.10 बजे से साढ़े 11 बजे के बीच स्थिर लग्न में भी हवन काफी बढ़िया होगा। जानकार कहते हैं कि स्थिर लग्न में हवन करने से परिवार में सुख-शांति, खुशहाली और समृद्धि में स्थिरता बनी रहती है। साढ़े 11 बजे से दोपहर डेढ़ बजे तक धनु योग में श्रद्धालु हवन करेंगे। इसे भी बढ़िया माना जाता है। जानकारों के अनुसार मंगलवार को सुबह से लेकर दोपहर तक हवन का अच्छा मुहूर्त है। सुबह से लेकर डेढ़ बजे के बाद तक कन्या-पूजन शुभदायक होगा।

सोमवार को श्रद्धालु अष्टमी महारात्रि व्रत का उपवास करेंगे। व्रती श्रद्धालुओं ने सप्तमी तिथि को मां दुर्गा का पूजन कर रविवार को खरना किया। अष्टमी व्रत के दौरान वे 24 घंटे का उपवास रखेंगे। श्रद्धालु मंगलवार नवमी तिथि को हवन पूजा के बाद पारण करेंगे। महारात्रि में जागरण का विशेष महत्व माना जाता है। बंगाली अखाड़ा कालीबाड़ी, गर्दनीबाग कालीबाड़ी सहित बांग्ला विधि से होने वाले पूजा में संधि पूजा का विशेष महत्व है। यहां जब अष्टमी छूटता है और नवमी में प्रवेश होता है, उसके समय लगभग 45 मिनट तक चलने वाली संधि पूजा का विशेष महत्व है। इस दौरान भतुआ और ईख की बलि दी जाती है। 3 अक्टूबर (सोमवार) को दोपहर 3.36 बजे से 4.24 बजे के बीच संधि पूजा का मुहूर्त है। दोपहर चार बजे से बलिदान दिया जाएगा। कालीबाड़ी में इस दौरान पूजा की आरती के लिए 108 दीया सुहागिन महिलाओं द्वारा जलाया जाता है।पंडित प्रेमसागर पांडेय कहते हैं कि महाअष्टमी की समाप्ति के बाद ही बलि देने की परंपरा रही है। वैष्णव विधि से पूजा करने वाले भक्त व श्रद्धालु भतुआ, गन्ना, उड़द, नारियल, बेल आदि की बलि देते हैं। अष्टमी तिथि सोमवार को दिन में 4 बजे तक है। शाम होने के कारण बलि नवमी की पूजा के बाद दिया जा सकेगा।

अगला लेखऐप पर पढ़ें