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Hindi Newsधर्म न्यूज़Navratri images 2019: Javare to rise fast in nine days of Navratri happiness will soon come

Navratri 2019: नवरात्रि के नौ दिनों में तेजी से बढ़ें जवारे तो जल्द आएंगी खुशियां 

शारदीय नवरात्र के पहले दिन यानि आश्विन की प्रतिपदा पर कलश पूजन के साथ ही जवारे भी बोए जाते हैं। माना जाता है कि नवरात्र में बोए गए जवारे जिन घरों में तेजी से बढ़ते हैं तो मां दुर्गा के आशीर्वाद से...

Anuradha Pandey नई दिल्ली, स्मार्ट डेस्क, नई दिल्लीTue, 1 Oct 2019 04:14 AM
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शारदीय नवरात्र के पहले दिन यानि आश्विन की प्रतिपदा पर कलश पूजन के साथ ही जवारे भी बोए जाते हैं। माना जाता है कि नवरात्र में बोए गए जवारे जिन घरों में तेजी से बढ़ते हैं तो मां दुर्गा के आशीर्वाद से उनके घरों में खुशियां और समृद्धि भी उतनी ही तेजी से आती हैं। 

अश्विन की प्रतिपदा से ही शारदीय नवरात्र शुरू हो जाते हैं। नवरात्र के इन नौ दिनों मां में दुर्गा की पूजा-अर्चना पूरे विधि-विधान से की जाती है। काफी संख्या में श्रद्धालु नौ दिन तक व्रत रखते हैं। कहा जाता है कि नवरात्र के दौरान मां का ध्यान, पूजा-अर्चना करने से घर में सुख समृद्धि आती है। नवरात्र में अधिकतर लोगों के घरों में अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित की जाती है। इसी तरह कई घरों में जवारे भी बोए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि घर में बोए गए जवारे भविष्य की किसी बात की ओर संकेत करते हैं।

ऐसा कहा जाता है कि अगर ज्वारे नवरात्र के नौ दिनों में तेजी से बढ़ते हैं तो कहा जाता है कि घर में सुख-समृद्धि और खुशियां भी तेजी से आएंगी। लेकिन अगर इनकी वृद्धि कम होती है तो कहा जाता है कि यह भविष्य में खराब आर्थिक स्थिति की ओर संकेत देती है। कहा जाता है कि अगर दो या तीन दिन में ही जौ से अंकुर फूट जाते हैं लेकिन उगने में देर से हो तो कहा जाता है कि आने वाले साल में अधिक मेहनत करनी पड़ेगी तभी फल मिलेगा। 

नवरात्र में विधिवत पूजन करने से दूर होता है वास्तु दोष : नवरात्र का वास्तुशास्त्र में भी अलग ही महत्व है। मां दुर्गा के नौ रूप नौ ग्रहों से जुड़े हैं और इस तरह हर ग्रह माता के किसी न किसी रूप का प्रतिनिधि ग्रह है। वास्तुशास्त्र में भी नवरात्र पूजा की महिमा का वर्णन किया गया है। अगर नवरात्र पूजा विधिवत की जाए तो वास्तु के कई दोषों की शांति होती है। वास्तुशास्त्र में ईशान यानी उत्तर-पूर्व को पूजा स्थल के लिए सर्वोत्तम स्थान बताया गया है। आप इस दिशा में पूजा स्थल या नवरात्र के लिए कलश स्थापना कर सकते हैं। लेकिन पूजा के उत्तम फल और वास्तुशांति के लिए देवी-देवता से संबंधित दिशा में ही पूजा या कर्मकांड किया जाए तो वह पूजा अधिक फलदायी होती है।

 

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