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नवरात्रि 2020: नवरात्रि के चौथे दिन करें मां कूष्मांडा का पूजन, मिलेगा यश, आयु का वरदान, पढ़ें उनका मंत्र और आरती

17 अक्टूबर से शुरू हो चुके हैं शारदीय नवरात्रि। मां दुर्गा के भक्तों के लिए इन नौ दिनों का विशेष महत्व होता है। नौ दिनों तक चलने वाली इस पूजा में माता के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है।...

Karishma Singh लाइव हिन्दुस्तान टीम, नई दिल्लीTue, 20 Oct 2020 06:39 AM
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17 अक्टूबर से शुरू हो चुके हैं शारदीय नवरात्रि। मां दुर्गा के भक्तों के लिए इन नौ दिनों का विशेष महत्व होता है। नौ दिनों तक चलने वाली इस पूजा में माता के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। आज है नवरात्रि का चौथा दिन। बुराई पर अच्छाई के प्रतीक इस त्योहार का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से मां की पूजा करने वालों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ंमां अपने भक्तों को स्वास्थ और समृद्धि प्रदान करती हैं।

मां दुर्गा के इस रूप की होती है आज पूजा

आज के दिन देवी कूष्मांडा की पूजा की जाताी है। कूष्मांडा शब्द दो शब्दों यानि कुसुम मतलब फूलों के समान हंसी और आण्ड का अर्थ है ब्रह्मांड। अर्थात वो देवी जिन्होनें अपनी फूलों सी मंद मुस्कान से पूरे ब्रह्मांड को अपने गर्भ में उत्पन्न किया है। देवी कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं। साथ ही हाथ में अमृत कलश भी है। मां की पूजा करने से यश, आयु और आरोग्य की वृद्धि होती है। मां ती सवारी सिंह है जो कि धर्म का प्रतीक है।

क्या चढाएं माता को भोग में

मां कूष्मांडा को मालपुए का भोग अतिप्रिय है। लेकिन भक्तों के पास जो होता है मां उस भोग को भी सहर्ष स्वीकरा कर लेती हैं। 

मां कूष्मांडा की पूजन विधि 

सुबह स्नान करने के हाद हरे वस्त्रों को धारण करें। उसके बाज देवी को हरी इलायची, सौंफ और कुम्हणे का भोग लगाएं। फिर "ओम कूष्मांडा दैव्यै: नम:" मंत्र का 108 बार जाप करें। मां कूष्मांडा की आरती उतारें और प्रसाद चढ़ाएं।

मां कूष्मांडा की पूजा करने के लिए मंत्र है-
              सुरासंपूर्णकलशं, रुधिराप्लुतमेव च।
              दधाना हस्तपद्माभ्यां, कूष्मांडा शुभदास्तु मे।

मां कूष्मांडा की आरती

कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी।।

पिङ्गला ज्वालामुखी निराली। शाकम्बरी मां भोली भाली।।

लाखों नाम निराले तेरे। भक्त कई मतवाले तेरे।।

भीमा पर्वत है डेरा। स्वीकारो प्रणाम मेरा।।

सबकी सुनती हो जगदम्बे। सुख पहुंचाती हो मां अम्बे।।

तेरे दर्शन का मैं प्यासा। पूर्ण कर दे मेरी आशा।

मां के मन में ममता भारी। क्यों ना सुनेगी अरज हमारी।।

तेरे दर पे किया है डेरी। दूर करो मां संकट मेरा।।

मेरे कारज पूरे कर दो। मेरे तुम भंडारे भर दो।।

तेरा दास तुझी को ध्याए। भक्त तेरे दर शीश झुकाए।।

मां कूष्मांडा के पूजन से व्यक्ति  के सारे दुख मिटते हैं और उसे कठिनाईयों से लड़ने का संबल मिलता है। सच्चे मन से मां का ध्यान करने वालों की सभी मुरादें पूरी होती हैं। साथ ही स्वास्थ, धन और हल में वृद्धि होती है।

 

 

 

 

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