Makar Sankranti 2024 : मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी, सूर्य के साथ शनिदेव को करें जल अर्पित
Makar Sankranti 2024 : मकर संक्रांति 14 जनवरी की मध्य रात्रि 12 बजे के बाद 2:44 बजे पड़ेगा। रात 12 बजे के बाद तिथि बदल जाती है। इसलिए इस पर्व को मनाने का शुभ मुहूर्त 15 जनवरी को होगा।
Makar Sankranti 2024 : ज्योतिष विद्वानों और पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। मकर संक्रांति 14 जनवरी की मध्य रात्रि 12 बजे के बाद 2:44 बजे पड़ेगा। रात 12 बजे के बाद तिथि बदल जाती है। इसलिए इस पर्व को मनाने का शुभ मुहूर्त 15 जनवरी को होगा। उत्तर भारत में इस दिन विशेष रूप से ब्राह्मणों को व्यंजन के रूप में खिचड़ी खिलाकर अन्य लोग भी इसे ग्रहण करते हैं। दक्षिण भारत में इस दिन पोंगल मनता है।
सूर्य के साथ शनिदेव को जल अर्पित करें- पुण्य काल में मकर संक्रांति का स्नान और दान करना श्रेष्ठ माना जाता है। हालांकि ब्रह्म मुहूर्त काल से ही दान पुण्य का कार्य शुरू हो जाता है, जो दिन भर किया जा सकता है। इस दिन सुबह उठकर गंगाजल मिश्रित जल में काले तिल मिलाकर स्नान करने का विधान है। इससे सूर्य भगवान के साथ शनि भगवान की कृपा भी मिलती है। स्नान के बाद भगवान सूर्य के साथ शनिदेव को भी जल अर्पित करना चाहिए। गरीबों का दान-दक्षिणा देने का विधान है। इस दिन काले तिल और खिचड़ी दान करने का खास विधान है।
मकर संक्रांति के पुण्यकाल
मकर संक्रांति का पुण्यकाल 7:15 बजे सुबह से 5:46 बजे संध्या तक
मकर संक्रांति का महापुण्यसाल 7:15 बजे सुबह से 9.00 बजे तक
मकर संक्रांति का समय 2:54 बजे सुबह से
16 जनवरी से शुभ और मांगलिक कार्य होंगे
पंडित रामदेव पांडेय के अनुसार इस बार व्यतिपात योग शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि शतभिषा नक्षत्र में सोमवार को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन प्रयागराज में स्नान, दान, दक्षिणा का बहुत ही महत्व है। माना जाता है कि इस तिथि से दिन बड़े होने लगते हैं। सूर्य भगवान के दक्षिणायण से उत्तरायण होने से सभी शुभ और मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। शुभ और मांगलिक कार्य 16 जनवरी से आरंभ होंगे। उन्होंने बताया कि 15 जनवरी से ही माघ मेला और कल्पवास शुरू होगा जो महाशिवरात्रि तक चलेगा। कल्पवास की अवधि के दौरान प्रयागराज में छह महास्नान का शास्त्रीय विधान है। माना जाता है कि इन तिथियों में स्नान से कई अश्वमेघ यज्ञ करने का पुण्य प्राप्त होता है।
माघमेला में होंगे छह स्नान
पहला स्नान 15 जनवरी मकर संक्रांति
दूसरा स्नान 25 जनवरी पौषी पूर्णिमा
तीसरा स्नान नौ फरवरी पौषी अमावश्या
चौथा स्नान 14 फरवरी बसंत पंचमी
पांचमा स्नान 24 फरवरी माघ पूर्णिमा
छठा महास्नान आठ मार्च महाशिवरात्रि
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