Makar Sankranti 2019 : आज मनाई जा रही मकर संक्रांति, जानें शुभ मुहूर्त और इन मंत्रों से करें सूर्य की पूजा
इस वर्ष मकर संक्रांति का त्योहार 14 की बजाए 15 जनवरी को मनाया जाएगा। दरअसल मकर राशि में सूर्य का प्रवेश 14 तारीख की रात में हो रहा है। हमारे शास्त्रों में त्योहारों की तिथि सूर्योदय से मानी जाती है।...
इस वर्ष मकर संक्रांति का त्योहार 14 की बजाए 15 जनवरी को मनाया जाएगा। दरअसल मकर राशि में सूर्य का प्रवेश 14 तारीख की रात में हो रहा है। हमारे शास्त्रों में त्योहारों की तिथि सूर्योदय से मानी जाती है। इसलिए मकर संक्राति का पर्व 15 तारीख को मनाया जाएगा, जब सूर्य का उदय मकर राशि में होगा।
मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। इस दृष्टि से भी इस पर्व का खास महत्व है। एक अन्य मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार कर उनके सिरों को काटकर मंदराचल पर्वत पर भूमिगत कर दिया था। उस समय से ही भगवान विष्णु के इस विजय को मकर संक्रांति के पर्व के रूप में मनाया जाता है।
स्नान-दान का शुभ मुहूर्त
इस बार मकर संक्रांति पर सर्वार्थसिद्धि योग भी बन रहा है। 14 जनवरी 2019 की रात को 8:08 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे, जो मंगलवार को 15 जनवरी दोपहर 12 बजे तक तक इसमें रहेंगे।
इसलिए 15 जनवरी 2019 को दोपहर 12 बजे से पूर्व ही स्नान-दान का शुभ मुहूर्त है। मकर संक्रांति पर स्नान और दान का विशेष योग मंगलवार को बन रहा है।
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मकर संक्रांति पुण्य काल मुहूर्त:-
पुण्य काल- 07:19 से 12:30
पुण्यकाल की कुल अवधि- 5 घंटे 11 मिनट
संक्रांति आरंभ- 14 जनवरी 2019 रात्रि 20:05 से
मकर संक्रांति महापुण्यकाल शुभ मुहूर्त- 07:19 से 09:02
महापुण्य काल की कुल अवधि- 1 घंटा 43 मिनट
सूर्य मंत्र के जाप से मिलेगा मनचाहा फल
सूर्य के मकर राशि में प्रवेश पर उसकी किरणों से अमृत की बरसात होने लगती है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण होते हैं। इसलिए मकर संक्रांति पर सूर्य की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसे में अगर भाषा व उच्चारण शुद्ध हो तो आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ अवश्य करें क्योंकि यह एक बहुत ही फलदायक रहेगा। कहते हैं अगर मकर संक्रांति पर विशेष 5 सूर्य मंत्र का जाप किया जाए तो लाभ ही लाभ होता है। आज हम आपको इन मंत्रों के बारे में बता रहे हैं।
यह हैं 5 मंत्र
ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः।
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