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Makar Sankranti 2019: इस दिन क्यों होता है तिल का इतना महत्व, जानें पढ़ें ये पौराणिक कहानी

इस साल मकर संक्रांति (Makar Sankranti) 14 जनवरी को नहीं 15 जनवरी को मनाई जा रही है। क्योंकि सूर्य धनु राशि छोड़कर मकर राशि में 14 जनवरी को देर रात में प्रवेश करेगा। खरमास की समाप्ति और शुभ कार्यों की...

लाइव हिन्दुस्तान नई दिल्लीMon, 14 Jan 2019 07:41 AM
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इस साल मकर संक्रांति (Makar Sankranti) 14 जनवरी को नहीं 15 जनवरी को मनाई जा रही है। क्योंकि सूर्य धनु राशि छोड़कर मकर राशि में 14 जनवरी को देर रात में प्रवेश करेगा। खरमास की समाप्ति और शुभ कार्यों की शुरुआत है मकर संक्रांति। मकर संक्रांति के दिन से ही घरों में शादी-ब्याह, मुंडन और नामकरण जैसे शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं। साथ ही इस दिन तिल और गुड़ से बने लड्डू और खिचड़ी हर घर में बनते हैं। मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन ना सिर्फ तिल खाया जाता हैं बल्कि इन्हें पानी में डालकर स्नान भी किया जाता है।

जानें तिल का क्यों है इतना महत्व पढ़ें पौराणिक कहानी

एक पौराणिक कथा के अनुसार शनि देव को उनके पिता सूर्य देव पसंद नहीं करते थे। इसी कारण सूर्य देव ने शनि देव और उनकी मां छाया को अपने से अलग कर दिया। इस बात से क्रोध में आकर शनि और उनकी मां ने सूर्य देव को कुष्ठ रोग का श्राप दे डाला।

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पिता को कुष्ठ रोग में पीड़ित देख यमराज (जो कि सूर्य भगवान की दूसरी पत्नी संज्ञा के पुत्र हैं) ने तपस्या की। यमराज की तपस्या से सूर्यदेव कुष्ठ रोग से मुक्त हो गए। लेकिन सूर्य देव ने क्रोध में आकर शनि देव और उनकी माता के घर 'कुंभ' (शनि देव की राशि) को जला दिया। इससे दोनों को बहुत कष्ट हुआ।

यमराज ने अपनी सौतेली माता और भाई शनि को कष्ट में देख उनके कल्याण के लिए पिता सूर्य को समझाया। यमराज की बात मान सूर्य देव शनि से मिलने उनके घर पहुंचे। कुंभ में आग लगाने के बाद वहां सब कुछ जल गया था, सिवाय काले तिल के अलावा। इसीलिए शनि देव ने अपने पिता सूर्य देव की पूजा काले तिल से की. इसके बाद सूर्य देव ने शनि को उनका दूसरा घर 'मकर' मिला।

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तभी से मान्यता है कि शनि देव को तिल की वजह से ही उनके पिता, घर और सुख की प्राप्ति हुई, तभी से मकर संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा के साथ तिल का बड़ा महत्व माना जाता है।

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