Makar Sankarnti : जानें अपने पिता सूर्य देव से क्यों नाराज थे शनिदेव, कैसे मकर संक्रांति पर हुआ था पिता-पुत्र सूर्य शनि का मिलन
एक राजा का अपनी प्रजा के घर जाना उसे शक्तिशाली बनाता है। उसे निखारता है। राजा-प्रजा के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध जीवन में उत्सव और समृद्धि लाते हैं। इसे सूर्य और शनि के संबंधों से समझा जा सकता है। नवग्रह
एक राजा का अपनी प्रजा के घर जाना उसे शक्तिशाली बनाता है। उसे निखारता है। राजा-प्रजा के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध जीवन में उत्सव और समृद्धि लाते हैं। इसे सूर्य और शनि के संबंधों से समझा जा सकता है। नवग्रहों में सूर्य राजा और शनि न्यायाधीश के पद पर हैं। ज्योतिष में शनि को प्रजा का कारक माना गया है। एक राजा जब अपनी प्रजा के घर जाता है, तो वह विशेष अवसर (मकर संक्रांति) होता है। इससे राजा और प्रजा दोनों का मान बढ़ता है। उत्सव होता है। खुशी के इस अवसर पर गुड़ और तिल बांटे जाते हैं। राजा (सूर्य) की खुशी के लिए गुड़ और प्रजा (शनि) की खुशी के लिए तिल। मिलन का यह दिन सूर्य का उत्तरायण होना है। छह महीने की इस अवधि को देवताओं के दिन भी कहा जाता है।
दिलचस्प बात यह है कि इन दोनों के बीच सिर्फ राजा-प्रजा का ही संबंध नहीं है। इनके बीच पिता-पुत्र का भी संबंध है। यह एक पिता का अपने पुत्र के घर जाना भी है। उस पुत्र के घर जो उनसे नाखुश है। इसका कारण अपनी मां के प्रति पिता से हुआ अन्याय है। सूर्य का विवाह ‘संध्या’ से हुआ था, लेकिन ‘संध्या’ सूर्य के तेज को सहन नहीं कर पाईं और पिता के घर आ गईं। वहां उन्होंने योग बल से दिखने में अपनी-जैसी ‘छाया’ नाम की एक युवती को सूर्य के पास पत्नी रूप में भेज दिया। सूर्य इस भेद को नहीं जान पाए। ‘छाया’ से सूर्य को यम, यमुना और शनि के रूप में तीन संतान प्राप्त हुईं। लेकिन एक दिन यह भेद खुलने पर सूर्य ने नाराज होकर ‘छाया’ को घर से निकाल दिया। शनि अपनी माता के इस अपमान और त्याग का कारण अपने पिता सूर्य को मानते हुए उनसे अलग हो गए।
अब एक सवाल और कि पुत्र के घर (मकर) आने से पहले सूर्य कहां रहे। सूर्य चंद्रमा (कर्क) के घर रहे। ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को रानी का पद प्राप्त है। सूर्य राजा और चंद्रमा रानी। सूर्य (राजा) जब चंद्रमा (रानी) के घर पर होते हैं तो ‘कर्क संक्रांति’ होती है। छह महीने की इस अवधि को सूर्य का दक्षिणायन होना कहा जाता है। यह देवताओं की रात्रि है। एक अन्य मत से इसे पितरों के दिन भी कहा जाता है। गौर करने वाली बात है, जब एक राजा का अपनी प्रजा से संबंध यानी मेल-मिलाप बंद हो जाता है, तो उसकी शक्ति भी क्षीण हो जाती है। महत्त्वपूर्ण कार्य रुक जाते हैं। सूर्य का दक्षिणायन होना यही बताता है। साथ ही उत्तरायण हमें यह सीख देता है कि एक अच्छे राजा को समय-समय पर अपनी प्रजा के हाल-चाल जानने के लिए उनके बीच जाते रहना चाहिए। और फिर, यह राजा एक पिता भी है, जो अपने नाराज बेटे को मनाने के लिए उसके घर जाता है। देखा जाए तो यह राजा-प्रजा और पिता-पुत्र के परस्पर संबंधों को अच्छा बनाने की कोशिश का भी दिन है यानी रूठे हुओं को मनाने का दिन।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।