Mahashivratri vrat 2023 : महाशिवरात्रि में शिवयोग का विशेष सम्मिलन, शिवयोग का आरंभ शनिवार शाम से
Mahashivratri vrat 2023 : फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि पर मनाया जाने वाला महाशिवरात्रि पर्व इस वर्ष शनिवार को पड़ने से इसका महत्व अधिक हो गया है। महाशिवरात्रि पर बन रहा शिवयोग इसे और विशेष बना रहा है।
Mahashivratri vrat 2023 : फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि पर मनाया जाने वाला महाशिवरात्रि पर्व इस वर्ष शनिवार को पड़ने से इसका महत्व अधिक हो गया है। महाशिवरात्रि पर बन रहा शिवयोग इसे और विशेष बना रहा है। महाशिवरात्रि में जागरण करना शास्त्रों में अनिवार्य बताया गया है। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि 17 फरवरी को रात 11:37 बजे से 18 फरवरी, शनिवार की रात 8: 03 बजे तक रहेगी। प्रदोष बेला में त्रयोदशी तिथि का मान 18 फरवरी, शनिवार को होने से प्रदोष व्रत किया जाएगा। चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी की रात 8: 03 बजे से 19 फरवरी, रविवार की शाम 4:19 बजे तक रहेगी। शिवयोग का आरंभ 18 की शाम 7:32 बजे से 19 फरवरी को दिन में 2:31 बजे तक रहेगा। महाशिवरात्रि पर चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्दशी की मध्यरात्रि में शिव पूजन का विशेष महत्व है। इस काल को शास्त्रों में महानिशीथ काल (रात 11: 43 बजे से 12: 33 बजे तक) की संज्ञा दी गई है।
ज्योतिषाचार्य पं. रामकृष्ण पाठक के अनुसार काशी से ही प्रकाशित कुछ अन्य पंचांगों में महानिशिथ काल की गणना में दो से तीन मिनट का अंतर है। उन्होंने बताया कि महाशिवरात्रि पर उपवास रखने और पूजन करने वाले को सूर्यास्त से पूर्व सिर्फ एक बार सात्विक आहार लेना चाहिए। महादेव का दूध और जल से अभिषेक कर यज्ञोपवीत, वस्त्र, चंदन, आभूषण, सुगंधि, बेलपत्र, कनेर, धतूरा, मदार के अतिरिक्त ऋतुपुष्प और नैवेद्य अर्पित करना चाहिए। धूप-दीप दिखा कर पूजन पूरब अथवा उत्तर की ओर मुख करके करना चाहिए।
शिव समक्ष दीप जलाकर उपासक को अपने मस्तक पर भस्म का त्रिपुंड और उसपर चंदन-रोली का तिलक लगाना चाहिए। भक्त को शिव स्तुति, शिव सहस्रनाम, शिव महिम्नस्तोत्र, शिव चालीसा, रुद्राष्टकम, शिव पुराण आदि का पाठ करना चाहिए। इसमें कोई बाधा हो तो पंचाक्षरी मंत्र ‘नम:शिवाय’ का जप निरंतर करना चाहिए।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।