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Mahashivratri : जानें रात में ही क्यों होती है भगवान शिव की पूजा?

mahashivratri vrat 2023 : देवताओं की पूजा प्राय: दिन में होती है। तब भगवान शिव को रात्रि ही क्यों प्रिय हुई? पंडित सूचित उपाध्याय कहते हैं कि शिव संहारशक्ति और तमोगुण शक्ति के अधिष्ठाता हैं ।

Yogesh Joshi निज संवाददाता, पावापुरीSat, 18 Feb 2023 08:59 AM
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महाशिवरात्रि शनिवार को है। यह प्राकट्य एवं कल्याण के उद्भव का पर्व है। फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शिव का दिव्य अवतरण हुआ। इस दिन शिव विवाह के रूप में भी मनाया जाता है। ईशान संहिता के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को अर्द्धरात्रि के समय करोड़ों सूर्यों के तेज के समान ज्योर्तिलिंग का प्रादुर्भाव हुआ था। इस दिन चंद्रमा क्षीण होगा और सृष्टि को ऊर्जा प्रदान करने में अक्षम होगा। इसलिए आलौकिक शक्तियां प्राप्त करने का यह सर्वाधिक उपयुक्त समय है।

पंडित धर्मेंद्र पांडेय ने बताया कि महाशिवरात्रि की पूजा विधि विधान के साथ करने से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पंडित पंकज पांडेय ने कहा कि शिवरात्रि वह रात्रि है ,जिसका शिवत्व के साथ घनिष्ठ संबंध है। शिवार्चन और जागरण ही इसकी विशेषता है। श्रद्धालू जागरण एवं रुद्राभिषेक का विधान करते हैं। शास्त्रों के मुताबिक माता पार्वती जी की जिज्ञासा पर भगवान शिव ने शिवरात्रि के विधान को बताते हुए कहा था कि जो शिवरात्रि के दिन उपवास करता है, वह मुझे प्रसन्न कर लेता है। शिवरात्रि के दिन अभिषेक ,वस्त्र ,धूप ,अर्चन तथा पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए। भगवान पंडित नीरज झा ने बताया कि गिरियक में महाशिवरात्रि का पर्व विशेष तौर पर मनाया जाता है। गिरियक का प्राचीन नाम गिरीब्रज था यहां गढ़ पर अतिप्राचीन शिव मंदिर स्थित है । उन्होंने बताया कि यह शिव मंदिर का दीवाल 30 से 40 इंच मोटी है । बुजुर्ग लोगों का कहना है कि शिवाला का निर्माण मगध के राजपरिवार द्वारा कराया गया था।

रात्रि ही क्यों दिन क्यों नहीं ?

देवताओं की पूजा प्राय: दिन में होती है। तब भगवान शिव को रात्रि ही क्यों प्रिय हुई? पंडित सूचित उपाध्याय कहते हैं कि शिव संहारशक्ति और तमोगुण शक्ति के अधिष्ठाता हैं । अत:रात्रि से लगाव होना स्वाभाविक है । रात्रि का अर्थ वह है जो आपको गोद में लेकर सुख और विश्राम प्रदान करे। उन्होंने बताया कि महाशिवरात्रि में शिवलिंग की पूजा करने से जन्मकुंडली के नवग्रह दोष शांत होते हैं। विशेष कर चंद्रजनित दोष जैसे मानसिक अशान्ति, मां के सुख और स्वास्थ्य में कमी, मित्रों से संबंध, मकान-वाहन के सुख में विलम्ब, हृदयरोग, नेत्र विकार, चर्म-कुष्ट रोग, नजला-जुकाम, स्वांस, कफ-निमोनिया संबंधी रोगों से मुक्ति मिलती है। शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से व्यापार में उन्नति और सामाजिक प्रतिष्ठा बढती है। वहीं भांग अर्पण करने से घर की अशांति, प्रेत बाधा तथा चिंता दूर होती है।

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