MAHASHIVRATRI : शिवरात्रि पर शिव जी के 108 मंत्रों और नामों का करें जाप, मिलेगा पुण्य ही पुण्य
MAHASHIVRATRI Special: मान्यता है महा शिवरात्रि के दिन व्रत रखने और श्रद्धा के साथ शिव जी और माँ पार्वती की आराधना करने से जीवन के दु:ख-दर्द दूर होते हैं। शिव कृपा पाने के लिए 108 मंत्रों का जाप करें।
MAHASHIVRATRI Special: 8 मार्च को शिव को समर्पित महाशिवरात्रि है। शिव भक्तों के लिए यह महत्वपूर्ण दिन है। मान्यता है इस दिन व्रत रखने और पूरी श्रद्धा के साथ शिव जी और माँ पार्वती की आराधना करने से जीवन के कष्ट दूर हो जाते हैं। वहीं, इस दिन शिव के 108 नामों और मंत्रों का ध्यानपूर्वक जाप करने से शिव जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आप इनमें से कोई भी 1 या सभी 108 मंत्रों और नामों का जाप कर सकते हैं। शिव कृपा पाने के लिए करें इन नामों और मंत्रों का 108 बार जाप करें।
शिव जी के 108 मंत्र और नाम
- शिव- ॐ शिवाय नमः, जो परम पावन हैं।
- महेश्वर- ॐ महेश्वराय नमः।, जो देवों के देव हैं।
- शम्भु- ॐ शम्भवे नमः।, सुख-सम्पत्ति प्रदान करने वाले
- पिनाकिन्- ॐ पिनाकिने नमः।, पिनाक नामक धनुष धारण करने वाले
- शशिशेखर, ॐ शशिशेखराय नमः।, शीश पर चन्द्रमा धारण करने वाले
- वामदेवाय- ॐ वामदेवाय नमः।, जो समस्त प्रकार से शुभ एवं सुन्दर हैं।
- विरूपाक्ष- ॐ विरूपाक्षाय नमः।, तिरछी आँखों वाले भगवान शिव
- कपर्दी- ॐ कपर्दिने नमः।, जटा धारण करने वाले
- नीललोहित- ॐ नीललोहिताय नमः।, नील वर्ण वाले
- शङ्कर- ॐ शङ्कराय नमः।, सुख-सम्पदा प्रदान करने वाले
- शूलपाणी- ॐ शूलपाणिने नमः।, त्रिशूल धारण करने वाले
- खटवांगी- ॐ खट्वाङ्गिने नमः।, खट्वाङ्ग नामक आयुध धारण करने वाले
- विष्णुवल्लभ- ॐ विष्णुवल्लभाय नमः।, जो भगवान विष्णु को अति प्रिय हैं।
- शिपिविष्ट- ॐ शिपिविष्टाय नमः।, किरणों से व्याप्त
- अम्बिकानाथ- ॐ अम्बिकाानाथाय नमः।, जो देवी अम्बिका (पार्वती) के पति हैं।
- श्रीकण्ठ- ॐ श्रीकण्ठाय नमः।, सुन्दर कण्ठ वाले
- भक्तवत्सल, ॐ भक्तवत्सलाय नमः।, भक्तों पर स्नेह एवं करुणा बरसाने वाले
- भव- ॐ भवाय नमः।, स्वयं प्रकट होने वाले
- शर्व- ॐ शर्वाय नमः।, समस्त कष्टों एवं पापों को नष्ट करने वाले
- त्रिलोकेश- ॐ त्रिलोकेशाय नमः।, तीनों लोकों के स्वामी एवं अधिपति
- शितिकण्ठ- ॐ शितिकण्ठाय नमः।, श्वेत कण्ठ वाले
- शिवाप्रिय- ॐ शिवाप्रियाय नमः।, जो माता पार्वती को प्रिय हैं।
- उग्र- ॐ उग्राय नमः।, अत्यन्त उग्र प्रकृति वाले
- कपाली- ॐ कपालिने नमः।, गले में कपाल की माला धारण करने वाले
- कामारी- ॐ कामारये नमः।, कामदेव को भस्म करने वाले
- अंधकारसुर सूदन- ॐ अन्धकासुरसूदनाय नमः।, अन्धकासुर का वध करने वाले
- गङ्गाधर- ॐ गङ्गाधराय नमः।, जटाओं में देवी गङ्गा को धारण करने वाले
- ललाटाक्ष- ॐ ललाटाक्षाय नमः।, जिनके ललाट पर तीसरा नेत्र है।
- कालकाल- ॐ कालकालाय नमः।, जो काल के भी काल हैं।
- कृपानिधि- ॐ कृपानिधये नमः।, भक्तों पर कृपा करने वाले, कृपा के सागर
- भीम- ॐ भीमाय नमः।, भीमकाय (विशाल) शरीर वाले
- परशुहस्त- ॐ परशुहस्ताय नमः।, परशु नामक अस्त्र धारण करने वाले
- मृगपाणी- ॐ मृगपाणये नमः।, हाथ में नर मृग धारण करने वाले
- जटाधर- ॐ जटाधराय नमः।, जटा धारण करने वाले
- कैलासवासी- ॐ कैलासवासिने नमः।, कैलाश पर्वत पर निवास करने वाले
- कवची- ॐ कवचिने नमः।, विभिन्न प्रकार के आयुध धारण करने वाले
- कठोर- ॐ कठोराय नमः।, अत्यधिक सुदृढ़ शरीर वाले एवं अति बलशाली
- त्रिपुरान्तक- ॐ त्रिपुरान्तकाय नमः।, त्रिपुरासुर का अन्त करने वाले
- वृषाङ्क- ॐ वृषाङ्काय नमः।, जिनके ध्वज पर वृष (नन्दी) का चिन्ह अङ्कित हैं।
- वृषभारूढ़- ॐ वृषभारूढाय नमः।, जो नन्दी पर सवार हैं।
- भस्मोद्धूलितविग्रह- ॐ भस्मोद्धूलितविग्रहाय नमः।, सपूर्ण शरीर पर भस्म धारण करने वाले
- सामप्रिय- ॐ सामप्रियाय नमः।, जिन्हें समानता प्रिय है।
- स्वरमयी- ॐ स्वरमयाय नमः।, जो सङ्गीत में पारङ्गत हैं।
- त्रयीमूर्ति- ॐ त्रयीमूर्तये नमः।, जो त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) में से एक हैं / जो ऋग्वेद, सामवेद एवं यजुर्वेद के रूप में स्थित हैं।
- अनीश्वर-ॐ अनीश्वराय नमः।, जिनका कोई स्वामी नहीं हैं।
- सर्वज्ञ- ॐ सर्वज्ञाय नमः।, जो सर्वज्ञाता हैं।
- परमात्मा- ॐ परमात्मने नमः।, जो समस्त आत्माओं में श्रेष्ठ हैं।
- सोमसूर्याग्निलोचन-ॐ सोमसूर्याग्निलोचनाय नमः।, चन्द्र, सूर्य एवं अग्नि को अपने तीन नेत्रों के रूप में धारण करने वाले
- हवि- ॐ हविषे नमः।, जो हवि (हवन में आहुति के रूप में दिये जाने वाले द्रव्य) स्वरूप हैं।
- यज्ञमय- ॐ यज्ञमयाय नमः।, जो स्वयं यज्ञ स्वरूप हैं।
- सोम- ॐ सोमाय नमः।, जो चन्द्रमा के समान शीतल एवं निर्मल हैं।
- पञ्चवक्त्र- ॐ पञ्चवक्त्राय नमः।, पाँच मुख वाले
- सदाशिव- ॐ सदाशिवाय नमः।, जो सदैव शुभ हैं।
- विश्वेश्वर- ॐ विश्वेश्वराय नमः।, सम्पूर्ण सृष्टि के स्वामी
- वीरभद्र- ॐ वीरभद्राय नमः।, जो उग्र भी हैं एवं शान्त भी
- गणना- ॐ गणनाथाय नमः।, जो समस्त गणों (देवगण, मनुष्यगण एवं राक्षसगण) के अधिपति हैं।
- प्रजापति- ॐ प्रजापतये नमः।, समस्त प्राणियों के स्वामी
- हिरण्यरेता- ॐ हिरण्यरेतसे नमः।, सहस्र सूर्यों जितना तेज धारण करने वाले
- दुर्धर्ष- ॐ दुर्धर्षाय नमः।, जिन्हें पराजित नहीं किया जा सकता
- गिरीश- ॐ गिरीशाय नमः।, जो पर्वतों के स्वामी हैं।
- गिरिश- ॐ गिरिशाय नमः।, कैलाश पर्वत पर शयन करने वाले
- अनघ- ॐ अनघाय नमः।, जो निर्विकार एवं दोषरहित हैं।
- भुजङ्गभूषण- ॐ भुजङ्गभूषणाय नमः।, सर्पों को आभूषण के रूप में धारण करने वाले
- भर्ग- ॐ भर्गाय नमः।, समस्त पापों को नष्ट करने वाले
- गिरिधन्वा- ॐ गिरिधन्विने नमः।, मेरु पर्वत को अपने धनुष के रूप में धारण करने वाले
- गिरिप्रिय- ॐ गिरिप्रियाय नमः।, जिन्हें पर्वत अति प्रिय हैं / जिन्हें देवी पार्वती अत्यन्त प्रिय हैं।
- कृत्तिवासा- ॐ कृत्तिवाससे नमः।, बाघम्बर धारण करने वाले
- पुराराति- ॐ पुरारातये नमः।, त्रिपुरासुर एवं उनके त्रिपुरों (लोकों) का सँहार करने वाले
- भगवान्- ॐ भगवते नमः।, जो सर्वशक्तिमान ईश्वर हैं।
- प्रमथाधिप- ॐ प्रमथाधिपाय नमः।, प्रमथगणों (शिवगणों) के अधिपति
- मृत्युञ्जय- ॐ मृत्युञ्जयाय नमः।, मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले
- सूक्ष्मतनु- ॐ सूक्ष्मतनवे नमः।, सूक्ष्म देह धारण करने वाले
- जगद्व्यापी- ॐ जगद्व्यापिने नमः।, सम्पूर्ण सृष्टि में विद्यमान रहने वाले
- जगद्गुरू- ॐ जगद्गुरुवे नमः।- जो समस्त लोकों के गुरु हैं।
- व्योमकेश- ॐ व्योमकेशाय नमः।, जिनके केश सम्पूर्ण आकाश में व्याप्त हैं।
- महासेनजनक- ॐ महासेनजनकाय नमः।, जो भगवान कार्तिकेय के पिता हैं।
- चारुविक्रम- ॐ चारुविक्रमाय नमः।, सुन्दरता को जीतने वाले
- रुद्र- ॐ रुद्राय नमः।, भक्तों के कष्ट से द्रवित होने वाले
- भूतपति- ॐ भूतपतये नमः।, जो पञ्चभूतों (अग्नि, वायु, जल, पृथ्वी, आकाश) के स्वामी हैं / जो भूतप्रेतों के स्वामी हैं।
- स्थाणु- ॐ स्थाणवे नमः।, जो अडिग एवं अटल हैं।
- अहिर्बुध्न्य- ॐ अहिर्बुध्न्याय नमः।, जो समस्त सृष्टि का आधार हैं / कुण्डलिनी धारण करने वाले
- दिगम्बर- ॐ दिगम्बराय नमः।, ब्रह्माण्ड को वस्त्र के रूप में धारण करने वाले
- अष्टमूर्ति- ॐ अष्टमूर्तये नमः।, आठ रूपों वाले
- अनेकात्मा- ॐ अनेकात्मने नमः।, अनेक रूप धारण करने वाले
- सात्त्विक- ॐ सात्त्विकाय नमः।, असीमित ऊर्जा के स्वामी
- शुद्धविग्रह- ॐ शुद्धविग्रहाय नमः।, जो पूर्ण रूप से शुद्ध एवं निर्मल हैं।
- शाश्वत- ॐ शाश्वताय नमः।-, जो अनन्त एवं अविनाशी हैं।
- खण्डपरशु- ॐ खण्डपरशवे नमः।, खण्डित परशु धारण करने वाले
- अज- ॐ अजाय नमः।, जो अजन्मा, असीमित एवं अजेय हैं।
- पाशविमोचन- ॐ पाशविमोचकाय नमः।, समस्त सांसरिक बन्धनों से मुक्त करने वाले
- मृड- ॐ मृडाय नमः।, सुख-सौभाग्य प्रदान करने वाले
- पशुपति- ॐ पशुपतये नमः।, समस्त पशुओं/जीवों के स्वामी
- देव- ॐ देवाय नमः।, जो सर्वशक्तिशाली सर्वव्यापी ईश्वर हैं।
- महादेव- ॐ महादेवाय नमः।, जो देवों के भी देव हैं।
- अव्यय- ॐ अव्ययाय नमः।, जो अपरिवर्तनीय हैं।
- हरि- ॐ हरये नमः।, समस्त पापों को हरने वाले
- भगनेत्रभिद्- ॐ भगनेत्रभिदे नमः।, भग का नेत्र क्षतिग्रस्त करने वाले
- अव्यक्त- ॐ अव्यक्ताय नमः।, जो अप्रत्यक्ष हैं।
- दक्षाध्वरहर- ॐ दक्षाध्वरहराय नमः।, दक्ष प्रजापति के यज्ञ का विध्वंश करने वाले
- हर- ॐ हराय नमः।, समस्त पाप बन्धनों को नष्ट करने वाले
- पूषदन्तभित्- ॐ पूषदन्तभिदे नमः।, पूषन नामक देव के दाँत तोड़ने वाले
- अव्यग्र- ॐ अव्यग्राय नमः।, स्थिर एवं अटल स्वभाव वाले
- सहस्राक्ष- ॐ सहस्राक्षाय नमः।, सहस्र नेत्रों वाले
- सहस्रपाद- ॐ सहस्रपदे नमः।, सहस्र पेरों वाले जो प्रत्येक स्थान पर उपस्थित हैं।
- अपवर्गप्रद- ॐ अपवर्गप्रदाय नमः।, मोक्ष प्रदान करने वाले
- अनन्त- ॐ अनन्ताय नमः।, जो अनश्वर एवं अन्तहीन हैं।
- तारक- ॐ तारकाय नमः।, जीवों को मोक्ष प्रदान करने वाले
- परमेश्वर- ॐ परमेश्वराय नमः।, सर्वोच्च सत्ताधारी ईश्वर जिनसे सम्पूर्ण सृष्टि का सृजन एवं संहार होता हैं।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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