Mahashivaratri: माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए महाशिवरात्रि पर धारण करें ऐसा रुद्राक्ष, रुद्राक्ष पहनने के नियम भी अच्छे से जान लें
शिव पुराण के अनुसार पितामह ब्रह्मा तथा भगवान विष्णु के मध्य श्रेष्ठता के निवारण हेतु भगवान शिव ने अपना विग्रह स्वरूप शिवलिंग के रूप में प्रकट किया था। जिस दिन शिवलिंग का रहस्य भगवान भोलेनाथ ने बताया
शिव पुराण के अनुसार पितामह ब्रह्मा तथा भगवान विष्णु के मध्य श्रेष्ठता के निवारण हेतु भगवान शिव ने अपना विग्रह स्वरूप शिवलिंग के रूप में प्रकट किया था। जिस दिन शिवलिंग का रहस्य भगवान भोलेनाथ ने बताया था।वह श्रेष्ठ दिन ही शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। यह तिथि भगवान शिव को अति प्रिय है । ऐसी भी मान्यता है कि इस माता पार्वती का भगवान भोलेनाथ के साथ विवाह सम्पन्न हुआ था । ऐसे में यह तिथि अत्यंत महत्वपूर्ण तथा परम कल्याणकारी हो जाती है। इस दिन भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा अर्चना किया जाना शुभ फल प्रदाय माना जाता है।
इस दिन निराहार रहकर निष्कपट भाव से यथोचित पूजन करने से श्रेष्ठ फल की प्राप्ति होती है । फाल्गुन मास के चतुर्दशी तिथि को प्रत्येक वर्ष महा शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है । भगवान शिव को विभिन्न प्रकार के पुष्प चढ़ाकर उन्हें प्रसन्न किया जाता है। षोडशोपचार पूजन किया जाता है । भगवान शिव के पूजन में भस्म के साथ-साथ रुद्राक्ष का विशेष महत्व बताया गया है । रुद्राक्ष भगवान शिव को अति प्रिय है। शुद्ध रुद्राक्ष का दर्शन करने , स्पर्श करने तथा उस पर जप करने से समस्त पापों का हरण हो जाता है। भगवान शिव के नेत्र से आंसू आंसू टपकने से रुद्राक्ष नामक वृक्ष पैदा हुआ। रुद्राक्ष यदि आंवले के फल के बराबर हो तो उसे श्रेष्ठ माना जाता है ।बेर के बराबर होने पर उत्तम सुख प्रदान करने वाला तथा सौभाग्य में वृद्धि करने वाला माना जाता है । रुद्राक्ष पूर्ण रूप से सम्पूर्ण होना चाहिए । खंडित नहीं होना चाहिए । साथ ही जो रुद्राक्ष स्वत: धागा पिरोने वाला हो जाए वह रुद्राक्ष उत्तम माना जाता है । रुद्राक्ष धारण करने वाले मनुष्य को खान-पान में सात्विकता बरतनी चाहिए । मदिरा का पान नहीं करना चाहिए। मांस का भक्षण नहीं करना चाहिए । लहसुन , प्याज तथा सहजन का भी त्याग कर देना चाहिए ।
रुद्राक्ष कुल चौदह प्रकार का होता है। एक मुखी रुद्राक्ष से लेकर 14 मुखी तक रुद्राक्ष प्राप्त होता है । सभी का अपना अपना अलग महत्व है।
◆ एक मुखी रुद्राक्ष साक्षात शिव है । इसे धारण करने से सभी सुख प्राप्त होते है।
◆ दो मुखी रुद्राक्ष देवदेवेश्वर स्वरूप होता है । जो सम्पूर्ण सिद्धि प्रदायक होता है।
● तीन मुखी रुद्राक्ष साक्षात सभी सुखों को प्रदान करने वाला माना जाता है।
◆ चतुर्मुखी रुद्राक्ष साक्षात ब्रह्म स्वरूप है जो कि सर्व सुख प्रदायक माना जाता है।
◆पंचमुखी रुद्राक्ष कालाग्नि स्वरूप होता है जो पाप नाशक तथा उत्तम फल प्रदान माना जाता है।
◆छः मुखी रुद्राक्ष कार्तिकेय स्वरूप होता है जो पापों के समन करने वाला पाप नाशक होता है ।
◆सात मुखी रुद्राक्ष आनंद रूप होता है । जो धन व सुख प्रदायक होता है ।
◆आठ मुखी रुद्राक्ष अष्टमूर्ति भैरव का स्वरूप है। जो आयु में वृद्धि करता है ।
◆नौ मुखी रुद्राक्ष भैरव तथा कपिल मुनि का स्वरूप होता है । माता भगवती की कृपा प्राप्ति वाला माना जाता है ।
◆दस मुखी रुद्राक्ष भगवान विष्णु स्वरूप होता है। सभी सुखों को प्रदान करने वाला माना जाता है ।
◆एकादश मुखी रुद्राक्ष रूद्र स्वरूप है। जो सभी प्रकार के कष्टों का समन करते हुए श्रेष्ठ गति को प्रदान करता है ।
◆द्वादश मुखी रुद्राक्ष उत्तम माना जाता है। जो सामान्य जनों को शुभ फल प्रदान करता है ।
◆त्रयोदश मुखी रुद्राक्ष विश्व देवों का रूप स्वरूप माना गया है । जो कि सर्व सुखों की प्राप्ति कराता है।
◆चौदह मुखी रुद्राक्ष परम शिव स्वरूप है। जो कि परम कल्याणकारी तथा सुख प्रदायक माना जाता है।
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