Mahaashtami 2022: आज महाअष्टमी पर बन रहा है शोभन योग, जानें कब से लगेगी नवमी तिथि
भारतीय संस्कृति में कन्याओं को दुर्गा का साक्षात स्वरूप माना गया है। कन्या पूजन के बिना नवरात्र व्रत को पूर्ण नहीं माना जाता। अष्टमी और नवमी को नवरात्र व्रत के बाद 10 साल से कम आयु की
भारतीय संस्कृति में कन्याओं को दुर्गा का साक्षात स्वरूप माना गया है। कन्या पूजन के बिना नवरात्र व्रत को पूर्ण नहीं माना जाता। अष्टमी और नवमी को नवरात्र व्रत के बाद 10 साल से कम आयु की कन्याओं का पूजन श्रेष्ठ माना गया है। अष्टमी तिथि दो अक्तूबर की शाम 6:21 बजे से शुरू होकर तीन अक्तूबर दोपहर 3:59 बजे समाप्त होगी। उसके बाद नवमी चार अक्तूबर की दोपहर 1:33 बजे तक रहेगी। नवमी तिथि पर मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत रखते हुए मां की पूजा उपासना की जाती है और कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। इस बार महानवमी पर पूरे दिन रवि योग बन रहा है। रवियोग को बहुत ही शुभ माना गया है। इस योग में किए गए सभी तरह के कार्य अवश्य ही सफल होते हैं।
ज्योतिषाचार्य पं. राकेश पांडेय ने बताया कि अष्टमी का कन्या पूजन और हवन तीन अक्तूबर प्रातः काल से दोपहर 3:59 बजे तक और नवमी का कन्या पूजन चार अक्तूबर की सुबह से दोपहर 1:33 बजे तक करना सही रहेगा। इस बार महाअष्टमी शोभन नाम का शुभ योग बन रहा है। शोभन योग दो अक्तूबर की शाम 5:14 से शुरू हो जाएगा जो कि तीन अक्तूबर को दोपहर 2:22 बजे तक रहेगा। शोभन योग को बहुत ही शुभ माना गया है। इस योग में पूजन करने से व्यक्ति का आर्कषण बढ़ता है, वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है।
दुर्गा पूजा के पंडालों में अष्टमी तिथि की समाप्ति के 24 मिनट और नवमी तिथि के प्रारम्भ के 24 मिनट के समय में संधिकाल में संधि पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि चण्ड और मुण्ड असुरों का वध करने के लिये संधिकाल में मां चामुंडा प्रकट हुईं थी। संधि पूजा में मां दुर्गा की 108 कमल के पुष्प और केले के पत्तों से विशेष पूजा की जाती है, शस्त्र पूजन भी होता है। दशमी तिथि को दुर्गा पूजा का विर्सजन किया जाता है। आश्विन शुक्ल दशमी को विजयदशमी और दशहरा पर्व के रूप में मनाया जाता है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।