Hindi Newsधर्म न्यूज़Maa Shailputri Aarti Lyrics in HINDI :Chaitra Navratri April 2024 Day 1 shailputri mata Aarti PDF

Maa Shailputri Aarti : चैत्र नवरात्रि के पहले दिन करें मां शैलपुत्री की आरती, मिलेगा धन-वैभव का वरदान

Chaitra Navratri 2024 Day 1 : आज से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा होती है। मान्यता है कि इनके पूजन से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है।

Arti Tripathi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 9 April 2024 05:54 PM
share Share

Maa Shailputri Aarti : हिंदू पंचांग के अनुसार, आज से यानी 9 अप्रैल 2024 से नवरात्रि शुरू हो रही है। नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की विधिवत पूजा की जाती है और उपवास रखा जाता है। मान्यता है कि मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में हिमालय के घर जन्म लिया था। हिमालय को शैलेंद्र या शैल भी कहा जाता है। इसी कारण देवी का पहला नाम शैलपुत्री पड़ा। शैलपुत्री की पूजा करने से धन,सुख-वैभव, रोजगार और अच्छे स्वास्थ्य का वरदान मिलता है।  इस दिन देवी के प्रथम स्वरूप का आशीर्वाद पाने के लिए पूजा-अर्चना के साथ इनकी आरती जरूर करें। यहां पढ़ें मां शैलपुत्री की आरती...

मां शैलपुत्री की आरती :

 शैलपुत्री मां बैल पर सवार। 
करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी। 
तेरी महिमा किसी ने ना जानी।
पार्वती तू उमा कहलावे। 
जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। 
दया करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी। 
आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो। 
सगरे दुख तकलीफ मिला दो।
घी का सुंदर दीप जला के। 
गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। 
प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।
जय गिरिराज किशोरी अंबे। 
शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो। 
भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।
जय मां शैलपुत्री की, जय माता दी

मां दुर्गा की आरती :

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी
माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी

भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी

श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी

 

अगला लेखऐप पर पढ़ें