Lunar eclipse 2019: अब तीन साल बाद नजर आएगा ऐसा नजारा, ग्रहण के बाद करें इन चीजों का दान
नए साल का पहला पूर्ण चंद्रग्रहण भारतीय समयानुसा सोमवार को खत्म हो गया। हालांकि इस चंद्रग्रहण का भारत में आंशिक प्रभाव रहेगा, लेकिन धार्मिक दृष्टि से यह खगोलीय घटना यहां बहुत महत्वपूर्ण...
नए साल का पहला पूर्ण चंद्रग्रहण भारतीय समयानुसा सोमवार को खत्म हो गया। हालांकि इस चंद्रग्रहण का भारत में आंशिक प्रभाव रहेगा, लेकिन धार्मिक दृष्टि से यह खगोलीय घटना यहां बहुत महत्वपूर्ण है। वैज्ञानिकों की ओर से इसे सुपर ब्लड मून कहा जा रहा है। ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद उपाध्याय ने बताया कि भारतीय समयानुसार ये चंद्रग्रहण सोमवार सुबह 10.11 बजे से शुरू हुआ और तकरीबन 1 घंटा यानि 11.12 बजे तक समाप्त हो गया। ग्रहण से पहले सूतक काल 12 घंटे पहले ही शुरू होता है।
इस लिहाज से सूतक 20 जनवरी की रात 9 बजे से ही शुरू हो गया था। वैसे बता दें कि चूंकि यह चंद्रग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, लेकिन इसका आंशिक प्रभाव रहेगा। इसलिए यहां पर इसका धार्मिक महत्व और सूतक मान्य नहीं होगा। चंद्र ग्रहण पुष्य नक्षत्र और कर्क राशि में लगेगा, इसलिए इस राशि और नक्षत्र से संबंधित लोग इस चंद्र ग्रहण से प्रभावित होंगे।
ज्योतिषियों के अनुसार ग्रहण का हर राशि पर प्रभाव पड़ता है। इसलिए ग्रहण के बाद गरीबों में दान करना अच्छा माना जाता है। ग्रहण के बाद अनाज से लेकर कपड़ों का मंदिर में दान करना चाहिए। राशि के अनुसार दान की वस्तुए देना और भी शुभ रहता है। सूर्य ग्रहण के समाप्त होने के बाद मंदिरों एवं घरों की सफाई की जाती है और फिर पूजा पाठ के बाद आरती की जाती है। चंद्र ग्रहण के समाप्त होने के बाद चावल, आटे और गर्म कपड़ों का भी दान कर सकते हैं।
क्यों होता है चंद्रग्रहण :
ज्योतिषाचार्य के अनुसार चंद्रग्रहण उस खगोलीय स्थिति को कहते हैं, जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में अवस्थित हों। इस ज्यामितीय प्रतिबंध के कारण चंद्रग्रहण केवल पूर्णिमा को घटित हो सकता है। चंद्रग्रहण का प्रकार एवं अवधि चंद्र आसंधियों के सापेक्ष चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करते हैं। चांद के इस रूप को 'ब्लड मून' भी कहा जाता है। चंद्रग्रहण शुरू होने के बाद ये पहले काले और फिर धीरे-धीरे सुर्ख लाल रंग में तब्दील होता है। किसी सूर्यग्रहण के विपरीत, जो कि पृथ्वी के एक अपेक्षाकृत छोटे भाग से ही दिख पाता है, चंद्रग्रहण को पृथ्वी के रात्रि पक्ष के किसी भी भाग से देखा जा सकता है। जहां चंद्रमा की छाया की लघुता के कारण सूर्यग्रहण किसी भी स्थान से केवल कुछ मिनटों तक ही दिखता है, वहीं चंद्रग्रहण की अवधि कुछ घंटों की होती है। इसके अतिरिक्त चंद्रग्रहण को, सूर्यग्रहण के विपरीत, आंखों के लिए बिना किसी विशेष सुरक्षा के देखा जा सकता है, क्योंकि चंद्रग्रहण की उज्ज्वलता पूर्ण चंद्र से भी कम होती है।
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