Hindi Newsधर्म न्यूज़karwa chauth vrat katha kahani in hindi chand nikalane ka time

karwa chauth vrat katha kahani : यहां पढ़ें करवा चौथ व्रत की कथा

karwa chauth vrat katha kahani : महिलाओं को चांद का बेसब्री से इंतजार रहता है। इस व्रत में व्रत कथा का बहुत अधिक महत्व होता है। चांद के दर्शन से पहले करवा चौथ व्रत कथा का पाठ अवश्य करें।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 13 Oct 2022 08:14 PM
share Share

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को चंद्रोदय ब्यापिनी में करवाचौथ व्रत किया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत में महिलाएं पूरे दिन निर्जला रहती हैं और चांद निकलने के बाद ही अपना व्रत खोलती हैं। महिलाओं को चांद का बेसब्री से इंतजार रहता है। इस व्रत में व्रत कथा का बहुत अधिक महत्व होता है। चांद के दर्शन से पहले करवा चौथ व्रत कथा का पाठ अवश्य करें। आगे पढ़ें करवा चौथ व्रत की कथा- 

करवा चौथ व्रत कथा

एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। सेठानी के सहित उसकी बहुओं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा था। रात्रि को साहकार के लड़के भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भोजन के लिए कहा। इस पर बहन ने बताया कि उसका आज उसका व्रत है और वह खाना चंद्रमा को अर्घ्‍य देकर ही खा सकती है। सबसे छोटे भाई को अपनी बहन की हालत देखी नहीं जाती और वह दूर पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। जो ऐसा प्रतीत होता है जैसे चतुर्थी का चांद हो। उसे देख कर करवा उसे अर्घ्‍य देकर खाना खाने बैठ जाती है। जैसे ही वह पहला टुकड़ा मुंह में डालती है उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़ा डालती है तो उसमें बाल निकल आता है और तीसरा टुकड़ा मुंह में डालती है तभी उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिलता है। वह बेहद दुखी हो जाती है।

उसकी भाभी सच्चाई बताती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं। इस पर करवा निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं करेगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवन दिलाकर रहेगी। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है। उसकी देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह एकत्रित करती जाती है।

एक साल बाद फिर चौथ का दिन आता है, तो वह व्रत रखती है और शाम को सुहागिनों से अनुरोध करती है कि 'यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो' लेकिन हर कोई मना कर देती है। आखिर में एक सुहागिन उसकी बात मान लेती है। इस तरह से उसका व्रत पूरा होता है और उसके सुहाग को नये जीवन का आर्शिवाद मिलता है। इसी कथा को कुछ अलग तरह से सभी व्रत करने वाली महिलाएं पढ़ती और सुनती हैं।

आज चांद कब निकलेगा-
दिल्ली- 08:09PM
गुरुग्राम- 08:21PM
गाजियाबाद- 08:08PM
नोएडा-08:08PM

अगला लेखऐप पर पढ़ें