आज करवा चौथ व्रत, पूजा शुभ मुहूर्त, पूजा के लिए कर लें तैयारी, ऐसे थाली सजाएं महत्व, नियम, सब यहां पढ़ें
karwa chauth chand nikalne ka samay live update :सौभाग्यवती स्त्रियां अपने पति की लम्बी आयु, स्वास्थ्य और सौभाग्य की कामना से करती हैं। इस व्रत को 12 या 16 वर्ष तक लगातार किया जाता है। यहां जानें इस व
कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि को पड़ने वाला संकष्ठी श्री गणेश करक चतुर्थी व्रत ,जिसे करवा चौथ व्रत भी कहा जाता है। कार्तिक कृष्ण पक्ष में करवा चौथ भारतीय महिलाओं के लिए विशेष पर्व हैं। इस वर्ष 1 नवंबर 2023 दिन बुधवार को होगा। पति की दीर्घायुष्य, यश-कीर्ति सुख वृद्धि तथा सौभाग्य वृद्धि के निम्मित किया जाने वाला यह कठीन एवं प्रसिद्ध व्रत 1 नवंबर दिन बुधवार को रहेंगी। पति के दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य के लिए, इस दिन गणेश जी की अर्चना की जाती है। करवा चौथ में गणेश चतुर्थी के व्रत की तरह दिन भर उपवास रखकर रात मे चन्द्रमा को अर्घ्य देने के उपरान्त ही भोजन या फलाहार का विधान है। करवा चौथ का पूजन मुहूर्त-काशी में या आसपास में चंद्रोदय समय रात में लगभग 8:00 बजे होगा। करवा चौथ के दिन चंद्रोदय की स्थितियां करवा चौथ पर पूजन की मुहूर्त शाम को 5:35 से लेकर के 6:55 तक।
करवा चौथ की कहानी :करवा चौथ पर साहूकार के सात बेटे और गणेश जी की कहानी पढ़ी जाती है। यहां हम आपको दे रहे हैं, दोनों कथाओं के लिंक, आप क्लिक कर दोनों कथा पढ़ सकते हैं।
15.40 PM karwa chauth: श्रृंगार में सिंदूर, मंगलसूत्र और बिछिया जरूर पहनें
हाथों और पैरों में मेहंदी या आलता लगाएं
अर्घ्य देते समय विवाह के समय की चुनरी धारण करें
करवाचौथ का पौराणिक महत्व :-
ये तिथि भगवान गणेश से संबंध रखती है I
वैवाहिक जीवन की समस्या दूर करने के लिए ये व्रत रखते हैं I
इस दिन भगवान गणेश, मां गौरी और चंद्रमा की पूजा होती है I
चंद्रमा को आयु, सुख और शांति का कारक मानते हैं I
इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं I
करवाचौथ का वैज्ञानिक महत्व :-
15: 30 PM करवाचौथ व्रत के नियम :-
सरगी खाने के उपरांत व्रत का आरंभ किया जाता है। यह व्रत निर्जला रखा जाता है ।
सर्वप्रथम व्रत का संकल्प लेना चाहिए दिन भर मित्रों का जब अथवा भजन अथवा संगीत में भजन आदि किया जा सकता है।
दो करवा अर्थात मिट्टी का बर्तन लेते हैं ।
उसमें एक में पानी तथा दूसरे में दूध भर देते हैं
माता पार्वती भगवान गणेश तथा इष्ट देव की पूजा करें उसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें तथा पति के हाथों से पानी पीकर व्रत का समापन करें ।
चंद्रोदय स्थानीय समय के अनुसार नंगी आंखों से देखने पर ही चंद्रमा को अर्घ्य दे।
महिलाएं ही रिश्तों को मजबूत बनाए रखती हैं।
धैर्य खोने पर महिलाएं समस्या का कारण भी बन सकती हैं।
महिलाओं का स्वस्थ, धैर्यवान होना सारे परिवार और समाज को एक नई दिशा दे पाता है।
ऋतुओं के परिवर्तन और चंद्रमा की गति के आधार पर महिलाओं को उपवास रखने के लिए कहा गया
सेहत और अन्य चीजों पर विचार करके ही उपवास रखें।
15:00 PM करवाचौथ पर बढ़ेगा सौभाग्य :-
चंद्रमा के निकलने पर छन्नी से या जल में चंद्रमा को देखेंI
चंद्रमा को अर्घ्य दें, करवाचौथ व्रत की कथा सुनेंI
उसके बाद अपने पति की लंबी आयु की कामना करेंI
श्रृंगार की सामग्री का दान करें, सास से आशीर्वाद लेंI
14.00 PM Karwa chauth:सुहागिनें या जिनका रिश्ता तय हो गया है, वो इस व्रत को रखें
काले या सफेद वस्त्र ना धारण करें
अगर स्वास्थ्य अनुमति नहीं देता तो व्रत ना रखें
नींबू पानी पीकर ही उपवास तोड़ें
9:18 AM चंद्रमा के दिखाने का समय अलग-अलग शहरों में अलग-अलग
जैसे दिल्ली में चंद्रोदय का समय रात में 8:15 पर होगा
मुंबई में 8:59 बजे होगा
पुणे में 8:55 बजे होगा
कोलकाता में 7:45 बजे होगा
पटना में चंद्रोदय रात में 7:51 बजे होगा
लखनऊ तथा प्रयागराज में 8:05 बजे होगा।
कानपुर में 8:08 बजे होगा। जयपुर में 8:19 बजे होगा
जोधपुर में 8:26 बजे होगा। भोपाल में 8:29 बजे होगा ।
9:11 AM करवाचौथ पूजा के लिए कर लें तैयारी, ऐसे थाली सजाएं
थाली में दीपक, सिंदूर, अक्षत, कुमकुम, रोली, मिठाई रखेंI
करवे में जल भरकर मां गौरी और गणेश जी की पूजा करेंi
चंद्रमा के निकलने पर छन्नी से या जल में चंद्रमा को देखेंI
8:50 AM करवा चौथ चतुर्थी तिथि कब तक रहेगी: चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर दिन मंगलवार की रात में 11:02 से आरंभ हो जाएगा जो 1 नवंबर 2023 दिन बुधवार को रात में 10:59 तक व्याप्त रहेगा I इस प्रकार चतुर्थी तिथि संपूर्ण दिन प्राप्त हो रही है । 1 नवंबर बुधवार के दिन करवाचौथ के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग।
8:30 AMकरवा चौथ पूजा कब :पूजा का समय शाम 4:45 मिनट से शाम 6:36 मिनट तक चतुर्थी तिथि के दिन चन्द्रमा अपनी उच्च राशि वृष में रात में 6:45 तक रहेंगे। अतः व्रतार्चन के लिए उत्तम श्रेष्ठ दिन के रूप मे परिगणित रहेगा।
8:20 AM करवा चौथ अर्घ्य: स्थानीय चंद्रोदय के आधार पर चन्द्रमा को अर्घ्य प्रदान किया जायेगा। शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन किया जाता है।
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