Karwa chauth 2019: पढ़ें करवा चौथ की कथा
करवा चौथ पर्व पर इस बार खास संयोग का योग है। महिलाएं इस दिन रोहिणी और मंगल नक्षत्र में व्रत-पूजन कर पति की दीर्घायु की कामना करेंगी। यह शुभ संयोग सुहागिनों के लिए फलदायी रहेगा। ज्योतिषाचार्य पं....
करवा चौथ पर्व पर इस बार खास संयोग का योग है। महिलाएं इस दिन रोहिणी और मंगल नक्षत्र में व्रत-पूजन कर पति की दीर्घायु की कामना करेंगी। यह शुभ संयोग सुहागिनों के लिए फलदायी रहेगा।
ज्योतिषाचार्य पं. दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के अनुसार गुरुवार को सूर्योदय 6:17 बजे होगा और चतुर्थी तिथि का मान पूरा दिन और रात्रिशेष 5:28 बजे तक रहेगा। कृतिका नक्षत्र योग दिन में 3:25 बजे तक रहेगा। इसके बाद रोहिणी नक्षत्र, योग व्यतिपात और वरियान दोनों है। चंद्रमा वृषभ राशि में उच्च स्थिति में रहेगा। यह योग प्रेम को समृद्ध करेगा। महिलाएं निर्जला व्रत रखकर व सोलह शृंगार कर चंद्रमा को अर्घ्य देंगी। इस दिन करवा चौथ व्रत की कथा भी सुननी चाहिए: यहां पढ़ें व्रत की कथा:
करवा चौथ की व्रत कथा-
करवा चौथ की कथा इंद्रप्रस्थ नगरी के वेदशर्मा नामक ब्राह्मण परिवार की पुत्री से जुड़ी है। सात भाइयों में अकेली बहन वीरावती का विवाह सुदर्शन नामक ब्राह्मण के साथ हुआ। वीरावती ने एक बार करवा चौथ का व्रत अपने मायके में किया। पूरे दिन निर्जल रहने के कारण वह निढाल हो गई। उसके भाइयों से उसकी यह दशा नहीं देखी गई। उन्होंने खेत में आग लगा कर समय से पहले ही नकली चांद उदय करा दिया।
वीरावती की भाभियों ने उसे चांद निकलने की बात बता कर अर्घ्य दिलवा दिया। उसके बाद से वीरावती का पति लगातार बीमार रहने लगा। उसने इंद्र की पत्नी इंद्राणी का पूजन कर उनसे समाधान मांगा। उन्होंने व्रत के खंडित होने की बात बताई और पुन: विधि विधान से व्रत करने की सलाह दी। वीरावती ने वैसा ही किया। इससे उसका पति ठीक हो गया। उसी समय से यह व्रत लोक प्रचलन में आ गया।
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